करवा चौथ 2025: सौभाग्य और समर्पण का त्योहार, जानें व्रत का महत्व और पूजा का सही समय

हिंदू धर्म में करवा चौथ का दिन बेहद शुभ और पवित्र माना जाता है। यह पर्व पति-पत्नी के बीच प्रेम, समर्पण और विश्वास का प्रतीक है। इस दिन विवाहित महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्र दर्शन के बाद ही जल ग्रहण करती हैं। करवा चौथ का व्रत विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों — दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
🌕 करवा चौथ 2025 की तिथि और मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष करवा चौथ व्रत शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा।
करवा चौथ व्रत तिथि शुरू: 10 अक्टूबर को सुबह 6:22 बजे
करवा चौथ व्रत तिथि समाप्त: 11 अक्टूबर को सुबह 4:39 बजे
पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 5:54 बजे से रात 7:10 बजे तक
चंद्रोदय का समय: रात लगभग 8:15 बजे (स्थान अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है)
व्रत का धार्मिक महत्व
करवा चौथ व्रत अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है। माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत करने पर देवी पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत न केवल दांपत्य जीवन को मजबूत बनाता है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है।
आस्था और ज्योतिषीय मान्यता
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार करवा चौथ पर शुभ योग बन रहा है।शुक्रवार को पड़ने वाला यह व्रत शुक्र ग्रह की कृपा दिलाने वाला है, जिससे प्रेम, समृद्धि और सौंदर्य में वृद्धि होती है।इस वर्ष का व्रत महिलाओं के लिए अत्यंत फलदायी माना जा रहा है।
पूजा विधि
1. सवेरे स्नान कर महिलाएं व्रत का संकल्प लेती हैं।
2. पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं — न भोजन करती हैं, न जल पीती हैं।
3. शाम को करवा चौथ कथा सुनती हैं और करवा (मिट्टी के कलश) में जल भरकर पूजा करती हैं।
4. सोलह श्रृंगार कर महिलाएं चांद निकलने का इंतजार करती हैं।
5. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ती हैं।
पौराणिक कथा
मान्यता के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से करवा चौथ व्रत का महत्व पूछा था। तब शिव जी ने कहा कि यह व्रत सच्चे मन से करने पर स्त्री को अखंड सौभाग्य और उसके पति को लंबी आयु प्राप्त होती है। इसी कारण से इसे सौभाग्य व्रत कहा जाता है।
विशेष मान्यताएं
इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं एक-दूसरे को करवा और श्रृंगार का सामान भेंट करती हैं।

करवा चौथ की थाली सजाना शुभ माना जाता है।
कई स्थानों पर महिलाएं समूह में कथा सुनती हैं और पारंपरिक गीत गाती हैं।
