खून लाल, पर नसें नीली क्यों? जानिए आँखों और दिमाग के इस विज्ञान भ्रम का राज!

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कभी गौर किया है – हमारा खून तो लाल होता है, फिर हाथों या पैरों में दिखने वाली नसें अक्सर नीली या हरी क्यों नजर आती हैं?
अगर यह सवाल आपको भी हैरान करता है, तो चलिए आज जानते हैं इसके पीछे का मजेदार विज्ञान… जो शायद आपकी किताबों से अलग होगा!

खून का रंग आखिर लाल क्यों होता है?

हमारे खून में हीमोग्लोबिन नामक एक प्रोटीन होता है, जो ऑक्सीजन को शरीर के हर हिस्से तक पहुंचाने का काम करता है। जब यह हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन से मिलता है, तो उसका रंग चमकदार लाल हो जाता है- यही वो खून है जो हमारे शरीर में दौड़ता है।

नसें नीली क्यों दिखती हैं?

यह एक ऐसा भ्रम है जो हमारी आंखों और दिमाग की मिलकर की गई चाल का नतीजा है। असल में, नसों का रंग नीला या हरा नहीं होता, बल्कि यह सिर्फ हमें ऐसा दिखाई देता है।

क्या है इसके पीछे की वजह?

रोशनी त्वचा की भीतरी परतें

  • जब रोशनी हमारी त्वचा पर पड़ती है, तो वो अलग-अलग रंगों में बंट जाती है।
  • लाल रंग की तरंगें लंबी होती हैं, जो त्वचा में गहराई तक पहुंच जाती हैं।
  • नीली तरंगें कम गहराई तक जाती हैं और जल्दी रिफ्लेक्ट हो जाती हैं।
  • इस वजह से हमारी आंखें ज्यादातर नीली तरंगों को पकड़ती हैं, और हमें नसें नीली या हरी दिखाई देती हैं।

विजुअल ट्रिक करती है काम

यह दरअसल एक “विजुअल ट्रिक” है। हमारी आंख और दिमाग मिलकर जो रंग हमें दिखाते हैं, वो जरूरी नहीं कि हकीकत हो। नसों की सतह पर पड़ने वाली रोशनी और त्वचा के नीचे की बनावट मिलकर एक ऐसा भ्रम पैदा करती हैं जिससे वो नीली-सी लगती हैं।

ऑक्सीजन की मात्रा का कोई लेना-देना नहीं

कई लोग सोचते हैं कि नीला रंग इसलिए होता है क्योंकि नसों में ऑक्सीजन-रहित खून होता है। हालांकि, यह सच नहीं है। ऑक्सीजन-रहित खून भी गहरा लाल ही होता है- थोड़ा डार्क, पर नीला नहीं। तो इसका नीला दिखना सिर्फ रोशनी और त्वचा की बनावट का कमाल है, न कि खून के रंग का।

त्वचा का रंग और नसों का अंतर

गोरी त्वचा वाले लोगों में नसें अक्सर ज्यादा स्पष्ट और नीली/हरी नजर आती हैं, जबकि गहरे रंग की त्वचा में ये अंतर कम दिखता है। त्वचा की मोटाई, रंग और नसों की गहराई- ये सब मिलकर यह तय करते हैं कि नसें आपको किस रंग की दिखेंगी।

हर कोई नसों को एक जैसा नहीं देखता

रोचक बात ये है कि हर इंसान की आंखें एक जैसी रंग-सेन्सिटिव नहीं होतीं। किसी को वही नसें थोड़ी हरी, किसी को नीली, और किसी को स्लेटी दिख सकती हैं। यह पूरी तरह आपके विज़ुअल परसेप्शन पर निर्भर करता है।

क्या आपने कभी सोचा था?

नसों का असली रंग नीला या हरा नहीं होता, बल्कि हमें ऐसा दिखता है क्योंकि हमारी आंखें और दिमाग मिलकर रोशनी की किरणों को अलग तरह से देखते और समझते हैं। यह एक विज्ञान और दृष्टि भ्रम का शानदार उदाहरण है और यह साबित करता है कि जो दिखता है, वो हमेशा हकीकत नहीं होता! अब अगली बार जब कोई आपसे पूछे कि “खून तो लाल होता है, तो नसें नीली क्यों दिखती हैं?” तो आप साइंस के साथ जवाब दे सकते हैं और उन्हें भी हैरान कर सकते हैं।

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