14 घोड़े-खच्चरों की मौत के बाद निरीक्षण करने पहुंचे मंत्री सौरभ बहुगुणा दिए निर्देश 

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रुद्रप्रयाग : गुरूवार को सोनप्रयाग में धामी सरकार में पशुपालन, मत्स्य पालन, कौशल विकास और रोजगार, प्रोटोकॉल और गन्ना विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने केदारनाथ यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की व्यवस्थाओं का स्थलीय निरीक्षण किया।

इस दौरान बहुगुणा ने कहा, “यात्रा पर प्रतिदिन भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और ऐसे में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि न केवल श्रद्धालुओं की सुविधा बनी रहे, बल्कि जो पशुधन इस कठिन यात्रा में भागीदार है, उनकी सुरक्षा और सेहत का भी पूरा ध्यान रखा जाए। स्थानीय प्रशासन और विभागीय अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि पशुओं की क्षमता और स्वास्थ्य की नियमित जांच हो, स्वच्छता बनाए रखी जाए और किसी भी प्रकार की अव्यवस्था को तुरंत दूर किया जाए। पशुओं की अनदेखी किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि यात्रा के दौरान यदि किसी घोड़े या खच्चर की मृत्यु होती है, तो उसके स्वामी को ₹32,000 का मुआवज़ा दिया जाएगा। इसके अलावा, यात्रा में शामिल सभी पशुओं का बीमा करवाया जाएगा, जिससे आपात स्थिति में पशुपालकों को आर्थिक राहत मिल सके। अब केवल पूरी तरह स्वस्थ घोड़े-खच्चर ही आवश्यक सामग्री लेकर ऊपर की ओर जाएंगे।

श्रद्धालुओं की आस्था और स्थानीय आजीविका दोनों के संतुलन को बनाए रखना हमारी प्राथमिकता है। हम सबके सहयोग से यह पावन यात्रा और भी सुरक्षित, व्यवस्थित बनी रहेगी।”

आपको बता दें, इक्वाइन इन्फ्लूएंजा से संक्रमित आठ घोड़े खच्चरों की रविवार और 6 घोड़े-खच्चरों की सोमवार को मौत हो गई थी। इसके बाद सचिव बीवीआरसी पुरुषोत्तम रुद्रप्रयाग पहुंचे और उन्होंने इसकी जांच के आदेश दिए। मंगलवार को घोड़े-खच्चरों के संचालक पर रोक के आदेश जारी किए गए थे। केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की बीमारी से मौत के बाद उनके संचालन पर लगाई गई रोक फिलहाल जारी रहेगी। प्रदेश के पशुपालन सचिव डॉ. बी. वी. आर. सी पुरुषोत्तम ने बुधवार को बताया कि केदार घाटी में घोड़े-खच्चरों में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए स्थानीय लोगों, घोड़े-खच्चर व्यवसायियों व अन्य संगठनों द्वारा यात्रा मार्ग पर उनके संचालन पर लगी रोक को आगे बढाने का अनुरोध किया गया है ताकि जानवरों में संक्रमण बढ़ने की स्थिति उत्पन्न न हो। उन्होंने बताया कि पैदल यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के पुनः संचालन के लिए जिला प्रशासन द्वारा स्थानीय स्तर पर निर्णय लिया जाएगा।

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