एम्स ऋषिकेश में रोगी सुरक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, पेशेन्ट सेफ्टी को लेकर बनी रणनीति


15 मई 2025, ऋषिकेश एम्स ऋषिकेश में गुरुवार को ‘पेशेन्ट सेफ्टी कान्क्लेव’ का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में रोगी सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलाना और जोखिम प्रबंधन की रणनीतियों पर विचार करना रहा। इस सम्मेलन में उत्तराखण्ड के विभिन्न जिला अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों और स्वास्थ्य संस्थानों से आए 40 से अधिक नोडल अधिकारियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम का आयोजन केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, उत्तराखण्ड स्वास्थ्य विभाग और एम्स ऋषिकेश के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
प्रतिभागियों ने रोगी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए संरचनात्मक बदलाव, डिजिटल सुरक्षा, सर्जरी में सावधानी और मरीज की पहचान जैसी महत्वपूर्ण बातों पर व्यापक चर्चा की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि, स्वास्थ्य मंत्रालय की डीजी हेल्थ सर्विस डॉ. सुजाता चौधरी ने कहा कि “पेशेन्ट सेफ्टी एक निरंतर प्रक्रिया है जिसमें हर स्वास्थ्यकर्मी की सक्रिय भूमिका होती है।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार देशभर के अस्पतालों में ‘पेशेन्ट सेफ्टी सेल’ स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रही है।विशिष्ट अतिथि डॉ. अविनाश सुंथालिया (D.A.DG, स्वास्थ्य मंत्रालय) ने एम्स ऋषिकेश को इस क्षेत्र में एक मॉडल संस्थान बताया और कहा कि जल्द ही राज्य स्तर पर पेशेन्ट सेफ्टी पर वेबीनार आयोजित किए जाएंगे।

एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि “हर अस्पताल की पहली ज़िम्मेदारी रोगी को सुरक्षित और सम्मानजनक देखभाल प्रदान करना है, विशेषकर नवजात शिशुओं के मामले में।” उन्होंने यह भी कहा कि दवा प्रबंधन, संक्रमण से सुरक्षा, और रोगी के अधिकारों की जानकारी का अभाव गंभीर जोखिम बन सकता है।
सम्मेलन में वक्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय रोगी सुरक्षा लक्ष्यों पर ज़ोर दिया जैसे: रोगी की सही पहचान करना,स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े संक्रमणों का जोखिम कम करना,उच्च चेतावनी वाली दवाओं की सुरक्षा में सुधार,और सर्जरी को सुरक्षित बनाना।
सम्मेलन में सिमुलेशन आधारित प्रशिक्षण, पैनल डिस्कशन और सहभागियों द्वारा रोगी सुरक्षा की शपथ जैसे सत्र आयोजित किए गए। कार्यक्रम में डीन रिसर्च प्रो. शैलेन्द्र हांडू, डीन एकेडमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. सत्या बलीजा, जॉइंट डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन डॉ. धनवीर रैणा, डॉ. गीता नेगी, डॉ. पुनीत धमीजा, डॉ. प्रदीप अग्रवाल, डॉ. पूजा भदौरिया, डॉ. श्रीलोय मोहंती, चीफ नर्सिंग ऑफिसर रीता शर्मा सहित विभिन्न विभागों के फैकल्टी, DNS, ANS और नर्सिंग अधिकारी उपस्थित रहे।यह सम्मेलन इस बात का संकेत है कि स्वास्थ्य संस्थानों में रोगी की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की जरूरत है और इसके लिए सभी स्तरों पर साझा प्रयास आवश्यक हैं।
