आज के दिन ब्रह्मा जी ने की थी सृष्टि की रचना
आज से चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2024) शुरू हो चुके है और आज के ही दिन से हिंदू नववर्ष भी शुरू होता है. मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी. हिंदू पंचांग के अनुसार आज हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 का पहला दिन है.
देवी पुराण में बताया गया है कि सृष्टि के आरंभ से पहले संपूर्ण ब्रह्माण्ड में अंधकार का साम्राज्य था। उस समय आदि शक्ति के मन में सृष्टि के निर्माण की इच्छा प्रकट हुई।
आदिशक्ति, देवी कुष्मांडा के रूप में पूर्व सृष्टि के अंत से पहले ही वनस्पतियों एवं सृष्टि की रचना के लिए जरूरी चीजों को संभालकर सूर्य मण्डल के बीच में विराजमान थी। सृष्टि रचना का जब समय आया तब इन्होंने ब्रह्मा विष्णु एवं भगवान शिव को प्रकट किया।
इसके बाद सत्, रज और तम गुणों से तीन देवियां देवी से उत्पन्न हुई जो सरस्वती, लक्ष्मी और काली कहलायी। सृष्टि चलाने में सहायता प्रदान करने के लिए आदि शक्ति ने ब्रह्मा जी को सरस्वती, विष्णु को लक्ष्मी एवं शिव जी को देवी काली सौंप दी।
आदि शक्ति की कृपा से ब्रह्मा जी सृष्टि के रचयिता बने, विष्णु पालनकर्ता और शिव संहारकर्ता। शास्त्रों के अनुसार जिस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण काम शुरु किया उस दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि थी। इसलिए संवत् की शुरुआत और नए वर्ष का आरंभ इसी दिन से माना जाता है।
देवी की कृपा से ब्रह्मा जी सृष्टि निर्माण का काम पूरा करने में सफल हुए इसलिए सृष्टि के आरंभ की तिथि के दिन से नौ दिनों तक आदिशक्ति के नौ रूपों की पूजा होती है। नवरात्र पूजा के साथ देवी से कामना की जाती है कि जिस तरह सृष्टि निर्माण का कार्य सफल हुआ उसी प्रकार नया संवत् भी सफल और सुखद रहे।
ज्योतिषीय मान्यताएं-अनुमान
ज्योतिषीय पंचांग के अनुसार नव संवत्सर 2081 का नाम क्रोधी और पंचांग भेद से इसका नाम कालयुक्त है। इसका राजा मंगल और मंत्री शनि होंगे। ज्योतिष के अनुसार इस वर्ष ग्रहों के दशाधिकार में सात विभाग क्रूर ग्रहों को और तीन शुभ ग्रहों को मिले हैं। मंगल राजा और शनि के मंत्री होंगे।
मान्यता है कि नए संवत्सर में ब्रह्मांड में नई व्यवस्था का गठन भी होता है। मान्यता यह भी है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि का आरंभ इसी तिथि से किया था। यह भी माना जाता है कि सबसे पहले सतयुग का प्रारंभ इसी तिथि यानी चैत्र प्रतिपदा से हुआ था। हिंदू विक्रम संवत, अंग्रेजी कैलेंडर के वर्ष से 57 वर्ष आगे होता है। चैत्र नवरात्र की प्रतिपदा तिथि से अगले 9 दिनों तक देवी दुर्गा की उपासना का महापर्व नवरात्र भी आरंभ होता है।