खबर शेयर करें -

देहरादून : आज तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने स्थानीय बोली-भाषाओं के संवर्धन एवं संरक्षण को नई तकनीक से जोड़ते हुए एक ऐतिहासिक पहल ‘पहाड़ी AI’ का विधिवत शुभारंभ किया। यह पहल राज्य की सांस्कृतिक पहचान को डिजिटल युग में नई दिशा देने वाला महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है। कार्यक्रम में उत्तराखंड के लोक-संगीत की सर्वोच्च पहचान, ‘गढ़ रत्न’ नरेंद्र सिंह नेगी भी विशेष रूप से उपस्थित रहे, जिनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को और अधिक गरिमामय बना दिया। ‘पहाड़ी AI’ को तकनीक में रुचि रखने वाले युवाओं, शोधकर्ताओं, भाषाविदों और विभिन्न विशेषज्ञों के सहयोग से तैयार किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की विविध क्षेत्रीय बोलियों गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनसारी, थारू इत्यादि को आधुनिक डिजिटल तकनीक के माध्यम से सुरक्षित रखना और नई पीढ़ी तक सुगमता से पहुँचाना है। यह AI आधारित प्लेटफॉर्म भाषा सीखने, उच्चारण समझने, अनुवाद, और डिजिटल दस्तावेजीकरण जैसे कई नवीन फीचर्स उपलब्ध कराएगा, ताकि स्थानीय भाषाओं का प्रयोग आसान हो सके और इन्हें राष्ट्रीय व वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सके।

कार्यक्रम के दौरान तकनीकी शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि “पहाड़ी भाषाएँ केवल संचार का माध्यम नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत की आत्मा हैं। समय के साथ ये भाषाएँ कमजोर न पड़ें, इसके लिए डिजिटल नवाचारों का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। ‘पहाड़ी AI’ हमारी भाषाई धरोहर को सशक्त बनाते हुए युवाओं के लिए शोध, रोजगार और नवाचार के नए रास्ते खोलेगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार स्थानीय सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण को प्राथमिकता देती है, और यह पहल भविष्य में शिक्षा, पर्यटन, डिजिटल सेवाओं तथा सांस्कृतिक अध्ययनों में नए आयाम जोड़ेगी। ‘पहाड़ी AI’ के माध्यम से विद्यार्थी और शोधकर्ता न केवल भाषाओं को सीख पाएंगे बल्कि अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व और जुड़ाव भी महसूस करेंगे।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्लेटफॉर्म उत्तराखंड की बोलियों को विलुप्त होने के खतरे से बचाते हुए आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने में एक मील का पत्थर साबित होगा। कार्यक्रम के समापन पर उपस्थित जनप्रतिनिधियों, कलाकारों और युवा तकनीकी विशेषज्ञों ने इस पहल को उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत बनाने वाला महत्वपूर्ण कदम बताया।

Ad