परमार्थ निकेतन(IYF2025) में विश्वव्यापी होली का उत्सव, 75 देशों के योग साधकों ने मनाया रंगोत्सव

- स्नान, ध्यान और गान के साथ मनायी होली…परमार्थ निकेतन में विश्व के 75 देशों से आये योग जिज्ञासुओं और योगाचार्यों ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डा साध्वी भगवती सरस्वती के पावन सान्निध्य में मनाया रंगों को त्यौहार होली
- स्नान, ध्यान और गान के साथ मनायी होली
- परमार्थ निकेतन में विश्व के 75 देशों से आये 1200 योग जिज्ञासुओं और योगाचार्यों ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डा साध्वी भगवती सरस्वती के पावन सान्निध्य में मनाया रंगों का पर्व होली
- होली की पूर्व संध्या पर, परमार्थ निकेतन के अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के पांचवे दिन, महर्षि महेश योगी (बीटल्स आश्रम) में स्वास्थ्य, प्रेम और शांति के लिए की विशेष प्रार्थना और ध्यान
- लंदन से आए प्रसिद्ध कीर्तन गायक व भक्ति योगाचार्य राधिका दास का विशेष कीर्तन
- अंतर्राष्ट्रीय संगीतकार गिल रॉन शामा और उनके बैंड द्वारा एक शानदार अंतर्राष्ट्रीय संगीत ने किया सभी को मंत्रमुग्ध
ऋषिकेश : अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव, परमार्थ निकेतन के पांचवे दिन का आयोजन बहुत ही शानदार रहा, जब 75 से अधिक देशों से आए योगियों, योग जिज्ञासुओं और योगाचार्यों ने महर्षि महेश योगी आश्रम (बीटल्स आश्रम) में शांति, प्रेम और योग का उत्सव मनाया। इस विशेष अवसर पर वहां पवित्र प्रार्थना, ध्यान और प्रसिद्ध कीर्तन गायक राधिका दास द्वारा एक विशेष संगीत कार्यक्रम ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। सायंकाल परमार्थ निकेतन में पवित्र गंगा जी की आरती के बाद एक अंतर्राष्ट्रीय शांति संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें गिल रॉन शामा और उनकी बैंड की प्रस्तुतियों ने सभी को आनंद से भर दिया।
आज अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के पांचवे दिन, विश्व शांति की प्रार्थनाओं और ध्यान के बाद सभी योगियों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती और डा साध्वी भगवती सरस्वती के पावन सान्निध्य में गंगा स्नान कर फूलों से होली खेलकर एकता और भाईचारे का संदेश दिया।विश्व के 75 देशों से आए प्रतिभागियों और योगाचार्यों ने महर्षि महेश योगी आश्रम, में एकत्रित होकर वहां की पवित्र ऊर्जा को आत्मसात किया। यह वह ऐतिहासिक स्थल पर, जहाँ महार्षि महेश योगी ने ध्यान और ट्रांसेंडैंटल मेडिटेशन का अभ्यास किया था आज इसी ऐतिहासिक स्थल पर स्वामी चिदानंद सरस्वती और साध्वी भागवती सरस्वती के मार्गदर्शन व नेतृत्व में ध्यान और विश्व शान्ति हेतु प्रार्थना की गयी।इस अवसर पर स्वामी ने मंत्रोच्चारण कर पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया। साध्वी ने सभी को ध्यान कराया, सभी ने विश्व शांति और पर्यावरण संरक्षण का संकल्प दोहराते हुये रूद्राक्ष के पौधे का रोपण किया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि होली का पर्व हमारे जीवन में रंगों की तरह है, जो हमें विविधता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देता है। जैसे विभिन्न रंग जब मिलते हैं तो एक खूबसूरत चित्र बनता है, वैसे ही हमारे जीवन में विविधता में ही सौंदर्य और शक्ति है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें एक-दूसरे को स्वीकार करना चाहिए और सभी भेद-भावों से परे एकता के रंगों में रंग जाना चाहिए। इस होली के पर्व पर, आइए हम सब एक-दूसरे के दिलों में प्यार और शांति के रंग भरें, और इस संसार को एक सुंदर, समृद्ध और संतुलित स्थान बनाने का संकल्प लें।साध्वी भागवती सरस्वती ने कहा, “सच्ची शांति भीतर से शुरू होती है। जब हम ध्यान का अभ्यास करते हैं तो आंतरिक शांति अपने आप आती है। साथ ही जीवन में प्रेम, सामंजस्य और सकारात्मक बदलाव भी आने लगते हैं। फिर हमें हर श्वास और हर क्रिया में परिवर्तन दिखायी देने लगता है।

ध्यान के अभ्यास के पश्चात लंदन से आए प्रसिद्ध कीर्तन गायक और भक्ति योगाचार्य राधिका दास के विशेष कीर्तन से सभी मंत्रमुग्ध हो गये। शाम को, गंगा आरती के बाद, गिल रॉन शामा और उनके बैंड द्वारा एक शानदार अंतर्राष्ट्रीय संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। आज गंगा तट पर विभिन्न संगीत परंपराओं का संगम हुआ और इसका उद्देश्य शांति और एकता का संदेश प्रसारित करना है।गिल रॉन शामा ने कहा, “दुनिया में सात मुख्य नदियाँ हैं जो अंत में महासागर में मिलती हैं, और आज हम सभी माँ गंगा के पवित्र तट पर एकत्र हो रहे हैं, विभिन्न जीवन क्षेत्रों से, एक शांति के महासागर में मिल रहे हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कौन सी भाषा बोलते हैं, हमारी त्वचा का रंग क्या है, हम किस धर्म का पालन करते हैं, जो महत्वपूर्ण है वह यह है कि प्रेम और एकता का संगीत हमें जोड़ता है, और यही योग है जिसकी आज की दुनिया में सबसे अधिक आवश्यक है।दिन की शुरुआत 4ः00 पर एक विशेष कुंडलिनी योग साधना से हुई, जिसे गुरुशब्द सिंह खालसा के मार्गदर्शन में किया। इसके बाद कई अन्य योग कक्षाओं का आयोजन हुआ, जिनमें प्रसिद्ध योग शिक्षक डॉ. योगेश विश्वकेतु, दासा दास और ज्हानवी क्लेयर मिसिंघम सहित कई अन्य विशेषज्ञों ने ध्यान, प्राणायाम, और योग दर्शन पर सत्र आयोजित किए।क्लेयर मिसिंघम, जो पिछले 24 वर्षों से अंतरराष्ट्रीय योग शिक्षिका हैं, ने कहा, “आजकल, मुझे लगता है कि उपनिषदों की शिक्षाएँ विशेष रूप से प्रासंगिक हैं। जब हम मौन में रहते हैं, जब शांति की श्वास लेते हैं, तब शक्ति को नवीनीकरण का अवसर मिलता है।”गुरमुख कौर खालसा, जिन्होंने योगी भजन के रूप में अमेरिका में पहले योग केंद्र की स्थापना की थी, ने कहा, “अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव ने लगातार विस्तार किया है और आज यह विश्व का सबसे शानदार योग महोत्सव बन चुका है।”विनोद जोशी, जो पारमार्थ निकेतन के आचार्य हैं, ने कहा, “संगीत इतनी खूबसूरत ऊर्जा है, जो हमें कई तरीकों से उपचारित करती है। तबला जैसे भारतीय वाद्य यंत्र का उपयोग योग अभ्यास के दौरान ध्यान, प्राणायाम और शारीरिक संतुलन में मदद करता है।”
