स्कूल का काम टालने और झूठ बोलने वाले बच्चों के लिए पैरेंटिंग टिप्स

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देहरादून। सात साल की उम्र में बच्चे का पढ़ाई से कतराना, बहाने बनाना या झूठ बोलना कई माता-पिता के लिए चिंता का विषय बन जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह केवल आलस्य नहीं, बल्कि बच्चे के भीतर किसी परेशानी या असुरक्षा का संकेत भी हो सकता है।

पैरेंटिंग एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सबसे पहले माता-पिता को बच्चे के व्यवहार के पीछे का कारण समझना चाहिए। हो सकता है पढ़ाई उसे कठिन लग रही हो, स्कूल का माहौल उसे परेशान कर रहा हो, या वह पढ़ाई को बोझ मान रहा हो। कई बार ध्यान खींचने के लिए भी बच्चे बहाने बनाते हैं।

झूठ बोलने पर गुस्सा करने की बजाय, शांत तरीके से बात करना जरूरी है। बच्चे को भरोसा दिलाएं कि सच बोलने पर मदद मिलेगी, न कि डांट। सच बोलने पर उसकी सराहना करें, ताकि वह खुलकर संवाद कर सके।

पढ़ाई को खेल जैसा बनाना भी असरदार तरीका है—लंबे होमवर्क को छोटे हिस्सों में बांटें, टाइमर लगाएं और पॉइंट सिस्टम अपनाएं। माता-पिता खुद पढ़ाई में शामिल हों, शुरुआत के कुछ सवाल मिलकर हल करें और फिर बच्चे को करने दें।

सकारात्मक माहौल बनाए रखना अनिवार्य है। रोज़ उसकी किसी एक अच्छी आदत की तारीफ करें, चाहे वह पढ़ाई से जुड़ी हो या नहीं। अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है, तो शिक्षक से बात करने या चाइल्ड काउंसलर की मदद लेने की सलाह दी जाती है।

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