देशभर में बढ़ सकती हैं खाद्य वस्तुओं की कीमतें, लोगों की चिंता बढ़ी

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नई दिल्ली : आम आदमी की जेब पर एक और मार पड़ने जा रही है। आने वाले दिनों में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी देखी जा सकती है। मौसम की अनिश्चितता, बारिश की कमी और कमजोर फसल उत्पादन को इस बढ़ती महंगाई की मुख्य वजह माना जा रहा है। कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार देश के कई हिस्सों में धान, दाल, गेहूं और तिलहन की पैदावार 10 से 15 प्रतिशत तक कम रही है। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सूखा और कम वर्षा के कारण फसलें प्रभावित हुईं।इससे बाजार में मांग और आपूर्ति का संतुलन बिगड़ गया है।

थोक बाजारों में दाल, चावल और गेहूं के दामों में 5 से 15 रुपये प्रति किलो तक की वृद्धि दर्ज की गई है। खाने के तेल, प्याज और टमाटर जैसी रोज़मर्रा की चीजों में भी तेजी देखी जा रही है।दिल्ली, मुंबई और लखनऊ के थोक मंडियों में व्यापारियों का कहना है कि यदि आपूर्ति सुधरी नहीं तो नवंबर के अंत तक दाम और बढ़ सकते हैं। स्थानीय दुकानदारों के मुताबिक, इस बार त्योहारी सीजन के बाद भी दाम कम नहीं हुए, बल्कि हर हफ्ते धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। लोगों का कहना है कि रसोई का खर्च अब पहले से 20-25 प्रतिशत तक बढ़ गया है।

केंद्र सरकार ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए सभी राज्यों को निर्देश दिए हैं कि वे आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत खाद्य वस्तुओं के स्टॉक और वितरण पर निगरानी रखें। सरकार को डर है जिससे महंगाई और बढ़ सकती है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि जरूरत पड़ने पर सरकार विदेशों से आयात की अनुमति भी दे सकती है ताकि घरेलू बाजार में वस्तुओं की उपलब्धता बनी रहे। इसके साथ ही सरकार ने यह भी संकेत दिए हैं कि यदि महंगाई का स्तर नियंत्रित नहीं हुआ तो कुछ वस्तुओं पर सब्सिडी या राहत योजना लागू की जा सकती है।

दिल्ली की गृहिणी सीमा शर्मा कहती हैं “हर हफ्ते सब्ज़ियों और दालों के दाम बढ़ रहे हैं। पहले 1000 रुपये में जो राशन आता था, अब वही 1300 से भी ऊपर जा रहा है।”इसी तरह कई शहरों में लोग बढ़ती महंगाई से परेशान हैं। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आने वाले दिनों में ठंड का मौसम फसलों के लिए अनुकूल नहीं रहा, तो महंगाई दिसंबर में और बढ़ सकती है। देश में पहले से ही रसोई गैस और ईंधन की कीमतें लोगों की जेब पर भारी पड़ रही हैं।

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