एम्स ऋषिकेश में जन स्वास्थ्य क्रांति: विशेषज्ञों ने नवाचारों पर की गहन चर्चा

Ad
खबर शेयर करें -

ऋषिकेश  :   एम्स, ऋषिकेश के सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग के तत्वावधान में विश्व स्वास्थ्य दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड राज्य के संदर्भ में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में नवाचारों के लिए नीति एवं योजनाएं विषय पर पब्लिक हेल्थ विशेषज्ञों ने विचार व्यक्त किए। जिसके तहत उन्होंने उत्तराखंड के परिप्रेक्ष्य में जनसामान्य को उपलब्ध कराई जा रही समग्र स्वास्थ्य सेवाओं की वर्तमान स्थिति व स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुदृढ़ व सुगम बनाने आदि बिंदुओं पर चर्चा की।   इस अवसर पर मुख्य अतिथि राज्य योजना आयोग (सेतु आयोग, उत्तराखण्ड) के उपाध्यक्ष डॉ. राजशेखर जोशी ने अपने विशेष संबोधन में बेहतर जनस्वास्थ्य के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में नवाचार को नितांत आवश्यक बताया। डॉ. जोशी ने बल देकर कहा कि डिजिटल हेल्थ प्लेटफॉर्म, टेलीमेडिसिन और स्मार्ट हेल्थ केयर सिस्टम जैसे उपाय उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने में मदद करेंगे।

डा. जोशी ने बताया कि सेतु आयोग, एम्स ऋषिकेश के साथ मिल कर प्रदेश के स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य करना चाहेगा । इसके लिए हेलीएम्बुलेंस, टेलीमेडिसिन जैसी सेवाओं के लिए एम्स ऋषिकेश के साथ विस्तृत कार्य योजना बनाई जाएगी।उपाध्यक्ष सेतु आयोग ने सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति और उसके प्रभावी कार्यान्वयन के बीच तालमेल स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि जब  तक नीति निर्माण और उसके वास्तविक कार्यान्वयन के बीच सामंजस्य नहीं होगा, तब तक जनता को इसका पूरा लाभ नहीं मिल सकेगा।कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के मद्देनजर तकनीकी के अधिकतम उपयोग को आवश्यक बताया। एम्स ऋषिकेश की हेलीएम्बुलेस सर्विस राज्य के लिए गेमचेंजर साबित होगी। सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना ने विभाग द्वारा शैक्षिक, अनुसंधान तथा रोगनिदान के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया तथा उत्तराखंड राज्य के लिए एक समग्र पब्लिक हेल्थ पॉलिसी बनाने पर जोर दिया।इस अवसर पर स्वास्थ्य में नीति एवं व्यवहार में अतंराल विषय पर पैनल चर्चा भी आयोजित की गई। पैनल चर्चा में प्रो. सुरेखा किशोर ,प्रो. मीनाक्षी धर, प्रो. रंजीता कुमारी ,प्रो. अनिद्य दास, डा. प्रदीप अग्रवाल, डा. दीपा जोसफ एवं डा. रूबी कटारिया  ने उत्तराखंड में कैंसर उपचार, मातृ-शिशु स्वास्थ्य, धूम्रपान निषेध, वृद्धजन, स्वास्थ्य ट्रॉमा केयर के क्षेत्र में मौजूदा पॉलिसी तथा उसके कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की।

विशेषज्ञों के अनुसार  सार्वजनिक स्वास्थ्य में नीति और व्यवहार में अंतराल तब उत्पन्न होता है, जब स्थापित नीतियों और वास्तविक धरातल पर उन नीतियों के वास्तविक कार्यान्वयन और अनुप्रयोग के बीच कोई संबंध नहीं होता है। जो अक्सर संसाधनों की कमी, अपर्याप्त प्रशिक्षण या भिन्न प्राथमिकताओं जैसे कारकों से उत्पन्न होता है। विभिन्न विभागों (जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, और सामाजिक कल्याण ) के बीच समन्वय से नीतियों को अधिक प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत डॉक्टरों और नर्सों को नवीनतम तकनीकों से परिचित कराने के लिए सहयोगात्मक प्रशिक्षण आवश्यक है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाने के लिए सहयोग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पैनल चर्चा का संचालन विभागाध्यक्ष प्रो. वर्तिका सक्सेना एवं सेतु आयोग, उत्तराखंड की सलाहकार डॉ. भावना शिंदे ने किया।  कार्यक्रम में एम्स ऋषिकेश की डीन एकेडेमिक प्रोफेसर जया चतुर्वेदी, अस्पताल अधीक्षक प्रो. सत्या श्री, सामुदायिक एवं पारिवारिक चिकित्सा विभाग की फेकल्टी प्रो. सुरेखा किशोर, प्रो. रंजीता कुमारी, डा. प्रदीप अग्रवाल, डा. स्मिता सिन्हा, डा. मीनाक्षी खापरे, डा. महेन्द्र सिंह, डा. अजीत सिंह के अलावा सीनियर रेजीडेंट, जूनियर रेजीडेंट, एम.पी.एच. छात्र-छात्राएं, इन्टर्स चिकित्सकों ने  प्रतिभाग किया।

Ad