रक्तदान से जीवनदान तक: राजन सिंह बिष्ट की प्रेरक कहानी | 81 बार रक्तदान…

ऋषिकेश। “रक्तदान है जीवनदान” इस संदेश को आत्मसात करने वाले राजन सिंह बिष्ट आज समाज के लिए एक प्रेरणा बन चुके हैं। अब तक वे कुल 81 बार रक्तदान कर चुके हैं, जिनमें से 71 बार प्लेटलेट (पीला रक्त) और 10 बार सामान्य रक्तदान शामिल हैं।

राजन का यह सफर तब शुरू हुआ जब उनकी पत्नी प्रसव के दौरान रक्त की कमी से जूझ रही थीं। रक्त के लिए जॉलीग्रांट से देहरादून तक भटकने के बाद, एक मित्र की मदद से रक्त मिलने पर उन्होंने संकल्प लिया कि किसी और को रक्त की कमी के कारण परेशानी न झेलनी पड़े।
वे बताते हैं कि प्लाज्मा डोनेशन की प्रक्रिया मशीन से होती है और इसमें लगभग दो घंटे का समय लगता है। यह पीला रक्त कैंसर, डेंगू और मलेरिया जैसे मरीजों के इलाज में अहम भूमिका निभाता है।

हाल ही में 28 अगस्त 2025 को ब्लड डोनर ऋषिकेश संस्था द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रक्तदाता सम्मान समारोह में संस्था के संस्थापक रोहित बिजलवान ने राजन सिंह बिष्ट को सम्मानित किया।
राजन का मानना है कि, “गंभीर बीमारी से मौत को हम नहीं रोक सकते, लेकिन रक्त की कमी से किसी की जान जाए — यह हमारे हाथ में है।”
इस इंटरव्यू में राजन ने खुलासा किया कि उन्होंने अब तक 81 बार रक्तदान किया है।
10 बार उन्होंने सामान्य (लाल रक्त) दान किया।
71 बार उन्होंने मशीन-आधारित प्लाज्मा/प्लेटलेट दान किया।
उन्होंने विस्तार से बताया कि किस प्रकार मशीन द्वारा दान प्रक्रिया होती है , पहले सैंपल लेते हैं, परीक्षण करते हैं, यदि सभी मानदंड पूरे हों, तो प्लेटलेट (पीला रक्त) लिया जाता है और लाल रक्त शरीर में लौटाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग 2 घंटे का समय लगता है।राजन ने यह भी उल्लेख किया कि प्लाज्मा दान विशेष रूप से डेंगू, मलेरिया और कैंसर जैसे गंभीर रोगों के इलाज में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
