संस्कृत दिवस पर विशेष: केशव स्वरूप ब्रह्मचारी के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ श्रावणी उपाकर्म

- श्रावणी उपाकर्म, जिसे “श्रावणी” या “श्रावणी पूर्णिमा” भी कहा जाता है, इस दिन पुराने यज्ञोपवीत को उतारकर नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं
- श्रावणी उपाकर्म हमें आत्म-अध्ययन, अच्छे संस्कारों के विकास और ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।आज के दिन पूरे विश्व में संस्कृत दिवस भी मनाया जाता है : डॉक्टर जनार्दन प्रसाद कैरवान
ऋषिकेश : शनिवार को वैदिक ब्राह्मण महासभा ऋषिकेश के द्वारा त्रिवेणी घाट पर प्रति वर्ष की भांति श्रावणी उपाक्रम बड़े ही श्रद्धा भाव से मनाया गया,पूज्य केशव स्वरूप ब्रह्मचारी जी के पावन सानिध्य में हुए इस ब्रह्म कर्म में सबसे पहले गंगा के पावन तट पर प्रयाश्चितसंकल्प,दशविधि स्नान किया गया,देव ऋषि,पितृ तर्पण,एवं संध्योपासन का कर्म किया गया,उसके बाद पंचांग पूजन,ऋषि पूजन,यज्ञोपवीत पूजन के बाद हवन (यज्ञ)किया गया,पूज्य केशव स्वरूप ब्रह्मचारी जी ने कहा कि श्रावणी उपाकर्म, जिसे “श्रावणी” या “श्रावणी पूर्णिमा” भी कहा जाता है, इस दिन पुराने यज्ञोपवीत को उतारकर नया यज्ञोपवीत धारण करते हैं।
श्रावणी उपाकर्म का महत्व: बताते हुए उन्होंने कहा कि आत्म-शुद्धि और प्रायश्चित:श्रावणी उपाकर्म आत्म-शुद्धि और पिछले वर्ष में जाने-अनजाने में किए गए पापों के प्रायश्चित का अवसर प्रदान करता है।यह पर्व यज्ञोपवीत बदलने का प्रतीक है, जो ज्ञान और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के नए संकल्प का प्रतीक है।श्रावणी उपाकर्म के दिन वेदों का अध्ययन फिर से शुरू करने का संकल्प लिया जाता है।इस दिन, ऋषियों का स्मरण और तर्पण किया जाता है, जिन्होंने हमें वेदों और ज्ञान का मार्ग दिखाया।श्रावणी उपाकर्म हमें आत्म-अध्ययन, अच्छे संस्कारों के विकास और ज्ञान की प्राप्ति के लिए प्रेरित करता है।आज के दिन पूरे विश्व में संस्कृत दिवस भी मनाया जाता है।इस अवसर पर वैदिक ब्राह्मण महासभा ऋषिकेश के अध्यक्ष जगमोहन मिश्रा,महामंत्री शिव प्रसाद सेमवाल,संस्कृत भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री देवेंद्र पांड्या जी,डॉक्टर जनार्दन प्रसाद कैरवान,आचार्य राकेश भारद्वाज,नागेंद्रभद्री,राकेशलसियाल,विवेक चमोली,जितेन्द्र भट्ट,सुरेश पन्त, शंकरमणि भट्ट,सौरभ सेमवाल, अमित कोठारी,आदि उपस्थित थे।
