श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि और उत्तराखंड संस्कृत विवि, हरिद्वार के मध्य हुआ समझौता (MOU)
ऋषिकेश: पंडित ललित मोहन शर्मा श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विवि परिसर ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के
अवसर पर सुमन विवि के कुलपति प्रो. एनके जोशी एवं उत्तराखंड संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री द्वारा नवाचार, शोध एवं शैक्षणिक गतिविधियों को प्रोत्साहित एवं बढ़ावा देने के उद्देश्य से समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये।
प्रो. एनके जोशी ने कहा कि कि इस समझौते का मुख्य उद्देश्य दोनों विश्वविद्यालयों के मध्य भारतीय ज्ञान परम्परा पर शोध एवं प्रचार प्रसार, संस्कृत भाषा के क्षेत्र में
उल्लेखित पारम्परिक मंत्र उच्चारण, हवन इत्यादि में विस्तृत शोध तथा मंत्रो के प्रभाव पर सम्भावनों सहयोगात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देना होगा।
उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न संकायों की आधारभूत नवीनतम प्रयोगशालाएं स्थापित हैं, जिससे छात्र-छात्राओं को शोध कार्य में उत्कृष्ठ परिणाम मिलेंगे।
साथ ही फैकल्टी एक्सचेंज के तहत स्नातकोत्तर व पीएचडी छात्र – छात्राओं को इंटर्नशिप भी करायी जाएगी एवं संकाय विकास केन्द्र द्वारा शोध के क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा।
प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री ने संस्कृत भाषा ज्ञान को मानव कल्याण के लिए उपयोगी बताया एवं समझौता ज्ञापन पर प्रंशसा व्यक्त की व कहा कि शोध के क्षेत्र में यह एमओयू दोनों विश्वविद्यालयों के छात्र-छात्राओं व संकाय सदस्यों के लिये उपयोगी होगा। इस एमओयू ज्ञापन के तहत शैक्षणिक एवं अनुसंधान कार्यक्रमों में संबंधित शिक्षण सामग्री एवं अन्य साहित्यिक जानकारी का आदान-प्रदान करना निरंतर शिक्षा गतिविधियों को प्रोत्साहित करना। दोनों दोनों विश्वविद्यालय के बीच छात्र आदान प्रदान के संबंध में सहयोगात्मक गतिविधि को बढ़ावा देना होगा।
श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो गुलशन कुमार ढींगरा ने कहा कि इस एमओयू के तहत दोनों विश्वविद्यालय में एक दूसरे को आपसी हितों की विषयों पर संयुक्त रूप से अल्पकालिक सतत शिक्षा कार्यक्रम आयोजित करना व आपसी हितों के विषयों पर संयुक्त रूप से सेमिनार सम्मेलन या कार्यशाला आयोजित करना और एक दूसरे के संकाय को उसमें भाग देने के लिए आमंत्रित करना उद्देश्य होगा होगा।
पंडित ललित मोहन शर्मा परिसर के निदेशक प्रो एम एस रावत ने इस मौके पर कहा कि संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर दोनों संस्थाओं द्वारा एक विशिष्ट योजना पर काम किया जाएगा व आपसी सरोकार से शैक्षणिक गतिविधियों के लिए कार्य किया जाएगा।