उत्तराखंड में पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट की रोक, आरक्षण व्यवस्था को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने पर उठाया कदम


देहरादून। उत्तराखंड में प्रस्तावित त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर फिलहाल हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। यह रोक राज्य सरकार द्वारा घोषित नए आरक्षण रोटेशन को लेकर स्पष्टता न होने के चलते लगाई गई है। कोर्ट ने कहा कि जब तक आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक चुनाव कराना न्यायसंगत नहीं होगा। साथ ही राज्य सरकार से मामले में तत्काल जवाब दाखिल करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

प्रदेश के 12 जिलों में पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी, और सोमवार (24 जून) से नामांकन पत्रों की बिक्री भी आरंभ हो गई थी। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश से यह पूरी प्रक्रिया स्थगित हो गई है।
याचिका की पृष्ठभूमि
बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल और अन्य याचिकाकर्ताओं ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें यह आरोप लगाया गया कि सरकार ने 9 जून 2025 को नया आदेश जारी कर पंचायत चुनावों के लिए नई आरक्षण नियमावली लागू की।इसके अंतर्गत 11 जून को एक सर्कुलर जारी कर पहले से लागू आरक्षण रोटेशन को शून्य घोषित कर दिया गया और वर्ष 2025 से नई रोटेशन व्यवस्था लागू कर दी गई। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इससे लगातार आरक्षित रहने वाली सीटें चौथी बार भी आरक्षित हो गईं, जिससे कई उम्मीदवार चुनाव में भाग नहीं ले पा रहे हैं।
सरकार ने मांगा था समय, फिर भी जारी किया चुनाव कार्यक्रम
आपको बता दे कि हाई कोर्ट ने पहले ही राज्य सरकार से आरक्षण को लेकर स्पष्टीकरण मांगा था और सरकार ने इसके लिए 24 जून तक का समय भी लिया था। लेकिन समय मिलने के बावजूद, सरकार ने उससे पहले ही पंचायत चुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी।कोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि जब मामला विचाराधीन है तो चुनाव कार्यक्रम कैसे घोषित किया गया? इसी आधार पर चुनावी प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगा दी गई।
घोषित किया गया था पूरा चुनाव कार्यक्रम
नामांकन: 25 से 28 जून
नामांकन पत्रों की जांच: 29 जून से 1 जुलाई
नाम वापसी की अंतिम तिथि: 2 जुलाई
चुनाव चिन्ह आवंटन: 3 जुलाई (पहला चरण), 8 जुलाई (दूसरा चरण)
मतदान: 10 जुलाई (पहला चरण), 15 जुलाई (दूसरा चरण)
मतगणना और परिणाम: 19 जुलाई-
अभ्यर्थियों को झटका
चुनाव की तैयारी में जुटे हजारों अभ्यर्थियों के लिए हाई कोर्ट का यह आदेश बड़ा झटका साबित हुआ है। नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी, लेकिन अब उन्हें अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है।-
अब क्या आगे?
राज्य सरकार को अब हाई कोर्ट में आरक्षण व्यवस्था की पूरी पारदर्शिता के साथ स्पष्टीकरण देना होगा। कोर्ट के संतुष्ट होने के बाद ही चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है। फिलहाल, उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों की प्रक्रिया अगली न्यायिक सुनवाई तक ठप रहेगी।
