सुरकंडा देवी मंदिर: शक्ति, श्रद्धा और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम

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उत्तराखंड : टिहरी गढ़वाल के ऊँची पहाड़ियों में विराजमान माँ सुरकंडा देवी मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह देवभूमि की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान भी है। समुद्र तल से लगभग 2,757 मीटर (9,045 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह मंदिर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल ज़िले में आता है और अपनी भव्यता, धार्मिक मान्यता और प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्व प्रसिद्ध है।

स्थान और पहुँच मार्ग

सुरकंडा देवी मंदिर कद्दूखाल नामक स्थान से लगभग 2 किलोमीटर की ऊँचाई पर पहाड़ी मार्ग से पैदल चढ़ाई कर पहुँचा जाता है। यह स्थल मसूरी–चंबा मोटर मार्ग पर स्थित है। यहां से देहरादून, मसूरी, धनौल्टी और टिहरी झील तक के मनोरम दृश्य दिखाई देते हैं।सर्दियों में यहां की चोटियाँ बर्फ से ढकी रहती हैं, जबकि गर्मियों में चारों ओर हरियाली और ठंडी हवाएँ इस स्थान को स्वर्ग समान बना देती हैं।

धार्मिक महत्व

माँ सुरकंडा देवी का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।पौराणिक कथा के अनुसार, जब माता सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में अपमानित होकर स्वयं को अग्नि में समर्पित कर दिया, तो यह देखकर भगवान शिव क्रोधित हो उठे। उन्होंने सती के जले हुए शरीर को उठाया और पूरे ब्रह्मांड में तांडव करने लगे। ब्रह्मांड की स्थिरता के लिए भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र चलाया, जिससे सती के शरीर के अंग पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर गिर पड़े। जहां-जहां सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई।मान्यता है कि माता सती का सिर इसी स्थान पर गिरा था, इसलिए इस स्थल को सुरकंडा देवी पीठ कहा जाता है।

सुरकंडा देवी की पूजा और आस्था

भक्तों का विश्वास है कि जो भी सच्चे मन से सुरकंडा देवी की आराधना करता है, उसकी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं, और नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं।यहां आने वाले श्रद्धालु मां से साहस, शक्ति, समृद्धि और पारिवारिक सुख की कामना करते हैं।नवरात्र और गंगा दशहरा के अवसर पर मंदिर परिसर में विशाल मेला आयोजित किया जाता है। इस दौरान दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। ढोल-दमाऊ, लोकगीत, पारंपरिक नृत्य और भक्ति संगीत की गूंज से पूरा क्षेत्र भक्तिमय वातावरण में डूब जाता है।

सुरकंडा देवी मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पर्यटन स्थल भी है।मंदिर की ऊँचाई से दिखने वाला हिमालयी पर्वत श्रृंखलाओं का विहंगम दृश्य, टिहरी झील की चमक, और मसूरी की घाटियों का नजारा मन को मोह लेता है। सर्दियों में बर्फ की सफेद चादर मंदिर और आसपास के जंगलों को स्वर्गीय रूप दे देती है।

निर्माण शैली

मंदिर पारंपरिक गढ़वाली स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण है। पत्थर और लकड़ी से निर्मित यह मंदिर शिखर शैली में बना हुआ है। इसके चारों ओर घंटियों की गूंज और हवा में घुली अगरबत्ती की सुगंध भक्तों के मन को शांति प्रदान करती है।

सुरकंडा देवी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह भक्ति, प्रकृति और संस्कृति का अद्भुत संगम है।यह स्थान हमें यह संदेश देता है कि जहां श्रद्धा होती है, वहां शक्ति भी होती है।हर साल लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचकर न सिर्फ देवी के दर्शन करते हैं, बल्कि शांति, साहस और ऊर्जा के साथ लौटते हैं।

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