उत्तराखंड के बागवानों की मेहनत रंग लाई, सेब की बंपर पैदावार से लौटी रौनक
उत्तरकाशी/अल्मोड़ा : उत्तराखंड के ऊंचाई वाले जिलों में इस साल सेब की बंपर पैदावार से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। लंबे समय बाद मौसम ने साथ दिया है, जिससे सेब की क्वालिटी और उत्पादन दोनों ही बेहतर रहे। उत्तरकाशी, चमोली और अल्मोड़ा जिलों के बागवानों ने बताया कि इस बार फलों का आकार, रंग और स्वाद पहले से ज्यादा अच्छा रहा है।
इस बार सेब की फसल को रोग और कीटों से भी कम नुकसान हुआ, जिससे किसानों को राहत मिली है। राज्य की मंडियों में सेब की कीमतें ₹1200 से ₹1800 प्रति पेटी तक पहुंच गई हैं, जो पिछले साल की तुलना में 30 से 40 प्रतिशत अधिक हैं। किसानों ने बताया कि पिछले दो सालों से लगातार नुकसान झेलना पड़ा था, लेकिन इस सीजन ने उम्मीदें फिर से जगा दी हैं।
कृषि विभाग के अनुसार, इस बार राज्य में लगभग 35 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि सेब उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार जल्द ही “हिमफ्रेश ब्रांड” के तहत राज्य के पहाड़ी उत्पादों का विपणन शुरू करेगी। इसके तहत उत्तराखंड के सेब को राष्ट्रीय बाजारों में पहचान दिलाई जाएगी।
हालांकि किसानों ने सरकार से मांग की है कि परिवहन और भंडारण की सुविधाओं को और बेहतर किया जाए। उनका कहना है कि दूरस्थ इलाकों से सेब को मंडियों तक पहुंचाने में अब भी काफी खर्च और समय लगता है। कुल मिलाकर इस बार की सेब फसल ने पहाड़ के किसानों को नई ऊर्जा और उम्मीद दी है। उनकी मेहनत और मौसम के सहयोग से उत्तराखंड के सेब बाजार में अपनी पहचान फिर से बना रहे हैं।
हालांकि किसानों ने सरकार से मांग की है कि परिवहन और भंडारण की सुविधाओं को और बेहतर किया जाए। उनका कहना है कि दूरस्थ इलाकों से सेब को मंडियों तक पहुंचाने में अब भी काफी खर्च और समय लगता है। कुल मिलाकर इस बार की सेब फसल ने पहाड़ के किसानों को नई ऊर्जा और उम्मीद दी है। उनकी मेहनत और मौसम के सहयोग से उत्तराखंड के सेब बाजार में अपनी पहचान फिर से बना रहे हैं।
