मतदान से पहले प्रत्याशियों की भूमिका: मर्यादा, संयम और सजगता ज़रूरी

रेखा भण्डारी, विशेष संवाददाता
डोईवाला: जैसे-जैसे पंचायत चुनाव की घड़ी नज़दीक आती है, प्रत्याशियों की सक्रियता अपने चरम पर पहुंच जाती है। लेकिन मतदान से ठीक एक दिन पहले, जब चुनाव प्रचार पूरी तरह से बंद हो जाता है, तब प्रत्याशियों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
चुनाव आयोग की गाइडलाइन के अनुसार, मतदान से 48 घंटे पूर्व प्रचार-प्रसार पर पूर्ण रोक लग जाती है। इसे “मौन अवधि (Silence Period)” कहा जाता है। इस अवधि में कोई भी प्रत्याशी जनता से वोट की अपील नहीं कर सकता।
क्या करें:
- पोलिंग एजेंट्स को तैयार करें:
प्रत्याशी अपने पोलिंग एजेंट्स से अंतिम बातचीत कर सकते हैं, आवश्यक कागज़ात जैसे फॉर्म-10, पहचान पत्र आदि की जांच करना चाहिए। - मतदाताओं को सम्मान दें:
इस समय प्रत्याशी केवल इतना कह सकते हैं कि “कल ज़रूर मतदान करें।” सीधे वोट मांगना इस समय कानूनन अपराध है। - सोशल मीडिया पर संयम बरतें:
कोई प्रचारात्मक पोस्ट, वीडियो, या संदेश नहीं डाला जा सकता। केवल मतदान जागरूकता के सन्देश देना ही उचित है। - समर्थकों को निर्देश दें:
दल-बल और समर्थकों को स्पष्ट निर्देश दें कि वे शांति बनाए रखें और किसी भी उकसावे या विरोधी प्रत्याशियों से टकराव से बचें।
क्या न करें:
- घर-घर जाकर वोट मांगना बंद:
अब प्रत्याशी खुद मतदाताओं से संपर्क नहीं कर सकते। यह सीधा आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। - पैसे, शराब, गिफ्ट देना अपराध:
इस अवधि में किसी को लुभाना या गिफ्ट देना गंभीर अपराध है और दोषी पाए जाने पर प्रत्याशी की उम्मीदवारी तक रद्द हो सकती है। - प्रचार वाहन, माइक, रैली प्रतिबंधित:
किसी भी प्रकार का सार्वजनिक प्रदर्शन, वाहन रैली, प्रचार सामग्री का वितरण वर्जित है। - बूथ के पास भीड़ जुटाना मना:
मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में प्रत्याशी या उनके समर्थक नहीं रह सकते।
चुनाव केवल प्रचार का नहीं, बल्कि स्वयं को साबित करने का मौका होता है। मतदान से एक दिन पहले प्रत्याशी का शांत आचरण, मर्यादित भाषा और नियमों का पालन ही उसे जनता की नज़रों में ऊंचा स्थान दिलाता है।
