इस बार सर्दी में बदला रहा मसूरी का मौसम, निराश हुए पर्यटक और लोग; नहीं हुई अभी तक बर्फबारी
किसी समय सर्दियों में दो से चार फीट तक हिमपात होने वाले मसूरी में आज मसूरीवासी बर्फ देखने के लिए तरस गये हैं। फरवरी माह समाप्त होने वाला है लेकिन हिमदेव मसूरी से रूठे हैं। बामुश्किल मसूरी में इन सर्दियों में बारिश भी हुई है।
सर्दियों में आसमान में बादल मंडराने शुरू होते हैं तो पर्यटक हिमपात की आस लगाए मसूरी का रूख करने लगते हैं, लेकिन इस बार पर्यटकों को भी मायूसी ही मिल रही है। अमूमन मसूरी में दिसंबर मध्य तक हिमपात हो जाता था और जनवरी में तो अनेक बार हिमपात होता था। एक साल तो दो अप्रेल को भी दो फीट से अधिक हिमपात दर्ज किया गया था।
हिमपात नहीं होने के कारण
हिमपात नहीं होने का एक कारण यहां की बढती आबादी, पर्यटकों का लगातार बढता दबाव और वाहनों से होने वाला प्रदूषण, जंगलों का लगातार काटा जाना और बेतरतीब कंक्रीट के जंगलों का बढ़ना प्रमुख कारण है। वर्ष 1850 में मसूरी की आबादी 2371, वर्ष 1951 में 7133, वर्ष 1981 में 24,000, वर्ष 1991 में 35,000 तथा सन् 2001 में 50,000 आबादी पार कर गयी थी।
पूरे साल 20 से 25 लाख से अधिक पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं। आबादी बढने के साथ वनों को भी और ज्यादा सघन होना चाहिए था लेकिन हुआ इसका उल्टा और आबादी बढने के साथ जंगल आधे से भी कम रह गये हैं जिसका यहां की जलवायु पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। आज मसूरी में एअर कण्डीशनर लगाये गये हैं।
बारिश और बर्फबारी का रिकॉर्ड होता था दर्ज
मसूरी में ब्रिटिश् शासनकाल में पालिका का मौसम विभाग होता था जो मसूरी में बारिश, हिमपात का रिकॉर्ड दर्ज करता था। मसूरी दस्तावेज के अनुसार सन 1830 तक मसूरी में 5 से 6 फीट हिमपात होना आम बात होती थी और इससे अधिक हिमपात होने पर देहरादून तक में हिमपात होता था।
- सन् 1820 में तत्कालीन डिप्टी कलक्टर कल्वर्ट ने देहरादून में हिमपात होने का जिक्र किया था।
- दस जनवरी 1945 को बीती सदी का भयंकरतम हिमपात हुआ था।
- मसूरी में 7 से 8 फीट तक हिमपात होने का जिक्र है और देहरादून में भी चार इंच हिमपात हुआ था। दे
- श की आजादी के बाद वर्ष 1962 में मसूरी में 4 से 5 फीट तक हिमपात हुआ था और कई दिनों तक बिजली और पानी की आपूर्ति बंद रही थी और लोग बर्फ को गलाकर पानी से खाना बनाते थे।
- सन् 1980 तक मसूरी में औसतन एक से दो फीट हिमपात होता था। उसके बाद हिमपात होना कम होता गया और बीच में अनेक साल हिमपात ही नहीं हुआ।
- सन् 1980 के बाद ईको टास्क फाेर्स द्वारा मसूरी में सघन वृक्षारोपण शुरू किया गया तो फिर से हिमपात होने लगा और 10-12 फरवरी को मसूरी में ढाई फीट हिमपात दर्ज किया गया।
- जनवरी 18 सन् 2014 को मसूरी में दो से ढाई फीट हिमपात हुआ था।
- एक जनवरी 2019 को भी डेढ से दो फीट हिमपात हुआ और इसके बाद लगातार हिमपात होना कम होता गया और चालू सर्दियों में तो बर्फ गिरने के लाले ही पड़ चुके हैं।
बर्फबारी कम होने के लिए खुद जिम्मेदार
हिमपात कम होने या नहीं होने के लिए मसूरी वासी स्वयं भी जिम्मेदार हैं। लगातार कटते जंगल और कंक्रीट के जंगलों के विस्तार से जलवायु बहुत बदल गयी है। मई व जून के महीने में भी बीती सदी के अंतिम दशक तक गरम कपड़े पहने जाते थे लेकिन आज एअर कण्डीशनर चलते हैं। अब भी अगर मसूरी वासी, प्रशासन व शासन नहीं जागा तो बर्फ देखने के लिए कहीं और जाना पड़ेगा।

