बागेश्वर के तीन जंगल रातभर जलते रहे, वन विभाग इस काम में जुटी
बागेश्वर जिले के जंगल इस बार फायर सीजन से पहले ही जलने लगे हैं। पहले जंगलों में चीड़ का पिरुल पेट्रोल का काम कर रहा था, लेकिन अब सूखी घास यह काम कर रही है। पशुपालन कम होने का असर जंगलों की आग पर भी पड़ने लगा है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों से जंगल जाड़ों में अधिक सुलग रहे हैं।
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बमराड़ी, फटगली, अणां के जंगल गुरुवार की रातभर जलते रहे। इसके अलावा कपकोट और धरमघर रेंज के जंगलों में भी आग लगी हुई है। इसे विभाग कंट्रोल वर्निंग बता रहा है। जल रहे जंगलों से धुंध फैलने लगी है। इधर गढ़खेत के रेंजर केएन पांडेय ने बताया कि आग बुझाने के लिए वन कर्मी लगे हैं। जल्द आग पर काबू पा लिया जाएगा।
जानकारों का कहना है कि बागेश्वर जिला कृषि और पशुपालन के नाम से जाना जाता था। एक किसान के पास छह से आठ जानवर होते थे। पलायन के चलते लोग भैंस भी कम पाल रहे हैं। एक-एक गाय के भरोसे किसानी चल रही है।
जानवर कम होने और काम करने वालों की कमी से बरसात के समय घास कटनी भी कम हो गई है। पहले अक्टूबर, नवंबर में लोग जंगलों की घास काटकर जानवरों के लिए जमा करते थे। अब घास कटती नहीं है और जाड़ों में सूख जाती है। जो एक चिंगारी से ही जलने लगती है।
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