वैशाख अमावस्या: पुण्य, मोक्ष और पितृ तर्पण का पावन अवसर

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वैशाख अमावस्या का महत्व

आज वैशाख माह की अमावस्या तिथि है, जिसे मोक्ष की प्राप्ति और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु गंगा, यमुना, सरस्वती समेत अन्य पवित्र नदियों में आस्था पूर्वक स्नान कर पुण्य अर्जित करते हैं। ऐसा विश्वास है कि आज के दिन किए गए स्नान, दान और जप-तप से व्यक्ति के समस्त पापों का क्षय होता है और उसे मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।


पितृ तर्पण और श्राद्ध का विशेष महत्व

वैशाख अमावस्या पितृों की शांति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। श्रद्धालु इस अवसर पर पितृ तर्पण, श्राद्ध और विशेष पूजन कर अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करने का प्रयास करते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, तर्पण और दान से पितृ संतुष्ट होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं, जिससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।


व्रत, उपवास और दीपदान की परंपरा

आज के दिन व्रत और उपवास करने का भी विशेष महत्व है। कई श्रद्धालु दिनभर व्रत रखते हैं और संध्या समय दीपदान करते हैं। देशभर के मंदिरों में भगवान विष्णु और भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है। इसके अतिरिक्त गऊदान, अन्नदान, वस्त्रदान और तांबूलदान करना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है।


पौराणिक संदर्भ और धार्मिक आयोजनों की धूम

पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि वैशाख अमावस्या पर किया गया दान-पुण्य सौ यज्ञों के बराबर फल देता है। इसी कारण हरिद्वार, प्रयागराज, वाराणसी, गया, और कुरुक्षेत्र जैसे प्रमुख तीर्थ स्थलों पर आज भारी संख्या में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। पवित्र नदियों में स्नान और मंदिरों में भव्य पूजा-अर्चना का आयोजन देखने को मिलता है।


जीवन में शुभता और आध्यात्मिक उन्नति का दिन

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख अमावस्या पर सूर्य देव और पितृगणों की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति से किए गए पुण्यकर्म जीवन में शुभता, संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति लाते हैं। भक्तजन इस अवसर को अत्यंत श्रद्धा भाव से मनाकर जीवन को धर्ममय बनाने का प्रयास करते हैं।

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