धार्मिक पुण्य और मोक्ष का विशेष अवसर: वरुथिनी एकादशी व्रत आज


आज का दिन अत्यंत शुभ और पवित्र माना गया है क्योंकि आज वरुथिनी एकादशी का पावन व्रत रखा जा रहा है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे करने से व्यक्ति को पूर्व जन्मों के पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
व्रत का महत्व
वरुथिनी एकादशी का उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है। मान्यता है कि इस व्रत को विधिपूर्वक रखने से दस हज़ार वर्षों तक किए गए तपस्या के समान फल प्राप्त होता है। भगवान विष्णु की पूजा कर इस दिन दान और पुण्य करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
व्रत विधि
- सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
- भगवान को तुलसी, पंचामृत, धूप, दीप और पुष्प अर्पित करें।
- व्रत कथा का पाठ करें और व्रत से जुड़ी कथाओं को सुनें या पढ़ें।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, जल या धन का दान करें।
शुभ मुहूर्त और पारण समय
- एकादशी तिथि: 23 अप्रैल शाम 4:43 बजे से 24 अप्रैल दोपहर 2:32 बजे तक।
- व्रत पारण (उपवास तोड़ने का समय): 25 अप्रैल को सुबह 5:46 बजे से 8:23 बजे के बीच।
आज का पंचांग
- तिथि: एकादशी तिथि दोपहर 2:32 बजे तक, फिर द्वादशी।
- नक्षत्र: सुबह 10:49 बजे तक शतभिषा, फिर पूर्वाभाद्रपद।
- योग: दोपहर 3:56 बजे तक ब्रह्म योग, फिर ऐन्द्र योग।
- राहुकाल: दोपहर 1:30 बजे से 3:00 बजे तक।
- सूर्योदय: सुबह 5:47 बजे।
- सूर्यास्त: शाम 6:52 बजे।
विशेष पर्व: श्री वल्लभाचार्य जयंती
आज ही के दिन महान संत और पुष्टिमार्ग के प्रवर्तक श्री वल्लभाचार्य की जयंती भी मनाई जा रही है। उन्हें भक्ति आंदोलन के महान संतों में गिना जाता है। इस दिन उनके अनुयायी भक्ति भाव से पूजा करते हैं और उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं।
निष्कर्ष:
आज का दिन आध्यात्मिक साधना, भगवान विष्णु की उपासना और पुण्य कमाने का उत्तम अवसर है। वरुथिनी एकादशी का व्रत जीवन को शुभ, शांतिपूर्ण और उन्नत बनाने में सहायक माना गया है।
