खतरे का रंग लाल ही क्यों? जानिए इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण

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आपने ट्रैफिक लाइट स्टॉप साइन अलार्म और खतरे से जुड़े संकेतों में अक्सर लाल रंग देखा होगा लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर दुनिया भर में लाल रंग को ही खतरे का प्रतीक क्यों माना जाता है? इसके पीछे केवल परंपरा नहीं बल्कि ठोस वैज्ञानिक कारण भी हैं। आइए जानते हैं इसके पीछे छिपे रोचक तथ्य (Science Behind Red Color)।

 क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रैफिक लाइट में “रुकने” का संकेत सिर्फ लाल रंग से ही क्यों दिया जाता है? या फिर आग का अलार्म और हाई वोल्टेज संकेतक हमेशा लाल क्यों होते हैं? यह कोई संयोग नहीं है! दुनिया भर में लाल रंग को खतरे और चेतावनी का प्रतीक (Red Color Of Danger) माना जाता है, लेकिन इसके पीछे गहरा वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण छिपा हुआ है।

लाल रंग हमारे दिमाग पर सीधा असर डालता है, जिससे हम तुरंत सतर्क हो जाते हैं। यही वजह है कि यह रंग न सिर्फ सड़कों पर बल्कि मेडिकल इमरजेंसी, सैन्य झंडों, जहरीले पदार्थों और यहाँ तक कि वन्यजीवों के बीच भी खतरे का संकेत बन चुका है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों लाल रंग को ही प्राथमिकता दी जाती है और इसके पीछे का रोचक विज्ञान क्या कहता है। यह जानकारी इतनी दिलचस्प है कि पढ़ने के बाद अगली बार जब आप लाल रंग देखेंगे, तो इसे सिर्फ एक रंग नहीं, बल्कि एक छिपे हुए संदेश के रूप में समझेंगे।

लाल रंग सबसे दूर से दिखता है

रंगों की दुनिया में हर रंग की एक वेवलेंथ (तरंगदैर्घ्य) होती है, जो यह निर्धारित करती है कि वह कितनी दूर से नजर आएगा। लाल रंग की वेवलेंथ सबसे अधिक (लगभग 620-750 नैनोमीटर) होती है, यानी यह अन्य रंगों की तुलना में सबसे पहले और सबसे दूर से दिखाई देता है। यही कारण है कि स्टॉप साइन, ट्रैफिक लाइट, रेलवे सिग्नल और खतरे के बोर्ड को लाल रंग में रखा जाता है, ताकि लोग उन्हें दूर से ही देख सकें और सतर्क हो जाएं।

लाल रंग हमारे दिमाग को तुरंत अलर्ट करता है

रंगों का हमारी भावनाओं और सोच पर गहरा प्रभाव पड़ता है। वैज्ञानिकों ने पाया है कि लाल रंग देखते ही हमारा दिमाग अलर्ट मोड में चला जाता है, जिससे हमारी हार्टबीट बढ़ जाती है और हमें तुरंत एक्शन लेने की जरूरत महसूस होती है। यही कारण है कि आपातकालीन स्थितियों में इस रंग का उपयोग किया जाता है, ताकि लोगों का ध्यान तुरंत आकर्षित किया जा सके।

प्रकृति भी देती है लाल रंग से खतरे के संकेत

आपने देखा होगा कि कुछ जहरीले मेंढक, सांप और कीड़े-मकोड़े लाल या चमकीले रंगों में पाए जाते हैं। यह “अपोसेमेटिक कलरिंग” कहलाता है, जो शिकारियों को संकेत देता है कि ये जीव खतरनाक हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ जहरीले मेंढक और मकड़ियां अपने लाल, नारंगी या पीले रंग के जरिए चेतावनी देते हैं कि वे जहरीले हैं और उन्हें छूना खतरनाक हो सकता है। प्रकृति का यह अनोखा नियम इंसानों के चेतावनी संकेतों में भी अपनाया गया है।

आग और खून से जुड़ा है लाल रंग का संबंध

आग और खून दोनों ही लाल रंग के होते हैं, और दोनों का संबंध खतरे से होता है। आग जलने का संकेत देती है, जबकि खून बहना चोट और दुर्घटना की ओर इशारा करता है। जब इंसान लाल रंग देखता है, तो उसके दिमाग में खतरे या आपातकाल की भावना तुरंत पैदा होती है। यही कारण है कि अस्पतालों में इमरजेंसी संकेतक भी लाल रंग में बनाए जाते हैं।

ऐतिहासिक परंपराएं भी हैं एक वजह

लाल रंग को शक्ति, ऊर्जा और चेतावनी का प्रतीक माना जाता रहा है। प्राचीन युद्धों में सैनिक लाल झंडे उठाकर युद्ध की घोषणा करते थे। जहरीले पदार्थों को भी लाल निशान के साथ चिह्नित किया जाता था। यही कारण है कि आधुनिक समय में भी सैन्य और आपातकालीन सेवाओं में लाल रंग का खूब इस्तेमाल किया जाता है।

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