विश्व पर्यटन दिवस: स्वामी चिदानन्द ने इको-टूरिज्म और पीस-टूरिज्म पर दिया जोर

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ऋषिकेश :  आज विश्व पर्यटन दिवस पर  परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि अब भारत का पर्यटन इको-टूरिज्म और पीस – टूरिज्म पर केंद्रित हो ताकि प्रकृति और सांस्कृतिक विरासत दोनों के संरक्षण के साथ ही यात्रियों को मानसिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक शांति का अनुभव भी हो सके क्योंकि आज पूरे विश्व को इसकी जरूरत है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती  ने कहा कि पर्यटन केवल यात्राओं का साधन ही नहीं, बल्कि संस्कृतियों का साक्षात्कार और मानवता को जोड़ने वाला एक वैश्विक उत्सव है। जब हम एक नई जगह की धरती को स्पर्श करते हैं, वहां की परंपराओं, आस्थाओं और जीवन मूल्यों को आत्मसात करते हैं, तो हमारे भीतर आपसी सम्मान और सहअस्तित्व की भावनायें जागृत होती है। भारत इस सच्चाई का सर्वोत्तम उदाहरण है। यहां की पावन धरती पर सनातन संस्कृति की ज्योति प्राचीन काल से प्रज्वलित है। अयोध्या में प्रभु श्रीराम का आदर्श जीवन, मथुरा-वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएँ, वाराणसी में मोक्षदायिनी गंगा और काशी विश्वनाथ का अलौकिक वैभव, बोधगया का बौद्ध शांति संदेश, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर और दक्षिण भारत के अद्भुत मंदिर स्थापत्य ये सब भारत को विश्व का अद्वितीय और अनुपम पर्यटन गंतव्य बनाते हैं।स्वामी ने कहा कि भारत में आस्था व आध्यात्मिकता की गौरवमयी परम्पराओं के साथ कला, संगीत, नृत्य, योग, आयुर्वेद और विविध भाषाओं का संगम भी है। कथक, भरतनाट्यम, ओडिसी और कुचिपुड़ी जैसे नृत्य भारत की जीवंत परंपराओं के वाहक हैं। कुंभ जैसे भव्य आध्यात्मिक आयोजन से लेकर अनेक ऐसी ऐतिहासिक धरोहर हैं जो भारत को हर रूप में अनुपम बनाती है।

‘अतिथि देवो भवः’ का शाश्वत संदेश भारतीय संस्कृति की आत्मा है। यह केवल आदर्श नहीं, बल्कि भारतीयों के जीवन की दिनचर्या है। भारत में आने वाले प्रत्येक अतिथि को यहां की मिट्टी, लोक विरासत और आध्यात्मिक ऊर्जा अपनापन और सुरक्षा का अनुभव कराती है।

आज विश्व पर्यटन दिवस पर भारत पूरे विश्व को आमंत्रित कर रहा है, आइए और हमारी सनातन धरोहर, आध्यात्मिक ऊँचाइयों, ऐतिहासिक गौरव और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कीजिए। मां गंगा  की आरती का दिव्य प्रकाश हो या राजस्थान के किलों की भव्यता, केरल की बैकवॉटर की शांति हो या हिमालय की ऊँचाई हर अनुभव आत्मा को छू लेने वाला है।

भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी  के नेतृत्व में भारत सरकार पर्यटन को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध है। पर्यटकों के लिए आधुनिक सुविधाएं और धार्मिक-सांस्कृतिक स्थलों के संरक्षण की दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं ताकि यहां आने वाला हर पर्यटक केवल दर्शक बनकर न लौटे, बल्कि भारत की आत्मा और सनातन संस्कृति का अनुभव अपने हृदय में संजोकर ले जाए।

विश्व पर्यटन दिवस को विश्वबंधुत्व, शांति और एकता का सेतु बनाएं। जब लोग एक-दूसरे की संस्कृति, भाषा और परंपराओं को समझते हैं, तभी सच्चे अर्थों में वैश्विक सद्भावना और शांति स्थापित होती है।आइए, इस विश्व पर्यटन दिवस पर हम सब मिलकर भारत की इस आध्यात्मिक व सांस्कृतिक भूमि को दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचाएं और अपने ‘अतिथि देवो भवः’ के शाश्वत संदेश से विश्व को जोड़ें।

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