ऋषिकेश में योग का महाकुंभ: प्रथम योग महोत्सव का आगाज, देश-विदेश से उमड़े योग साधक

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ऋषिकेश : (मनोज रौतेला)  प्रथम ऋषिकेश योग महोत्सव का शुभारम्भ  दून योग पीठ देहरादून द्वारा स्वामी नारायण आश्रम ऋषिकेश के सहयोग से आयोजित प्रथम ऋषिकेश योग महोत्सव 2025 का दिव्य शुभारम्भ   स्वामी नारायण आश्रम ऋषिकेश में हुआ.  वैदिक मंत्रोचारण के साथ ऋषिराज सुनील भगत, महायोगी जीतानंद  महाराज और कार्यक्रम संयोजक योगाचार्य डा0 बिपिन जोशी ने संयुक्त रूप से किया.  ऋषिराज सुनील भगत  ने हनुमान जी को विश्व का सबसे सिद्ध योगी बताया और उनके बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया. महायोगी जीतानंद  महाराज ने योग को आज की मूलभूत जरूरत बताते हुए नियमित दिनचर्या सही खानपान के साथ साथ नियमित रूप योगाभ्यास करने का आहवान किया. कार्यक्रम संयोजक दून योग पीठ के संस्थापक योगाचार्य डॉ बिपिन जोशी ने कहा देवभूमि उत्तराखंड को प्रकृति ने मुक्त हस्त से एक ओर जहां 70% भू-भाग दिए हैं. वहीं हिमालय हमारे पास है गंगा यमुना जैसी पवित्र नदियों के साथ-साथ जो देवभूमि उत्तराखंड का स्वास्थ्य अनुकूल वातावरण है.

हां पर हजारों प्रकार की जड़ी बूटियां पाई जाती हैं. उसके साथ-साथ यहां उगने वाला मोटा अनाज पहाड़ों में उगने वाले फल सब्जियां आदि स्वास्थ्य के लिए बहुत अनुकूल हैं. देवभूमि  के देवत्व की रक्षा के लिए बहुत जरूरी है. सभी तीर्थ यात्रा क्षेत्र में और उनके मार्गो में पढ़ने वाले स्थान पर जगह-जगह ध्यान साधना योग केंद्र खोले जाए. साथ ही उत्तराखंड के पर्यटन स्थलों की ओर जाने वाले मार्गों में पर्यटन स्थलों में भी जगह-जगह योग और ध्यान केदो को खोलने से जहां एक और संपूर्ण विश्व से आने वाले यात्रियों को स्वास्थ्य लाभ के साथ-साथ देवभूमि की इस अमूल्य विद्या का लाभ मिलेगा. साथ ही स्थानीय स्तर लोगों की आर्थिक की सुधरेगा और पलायन रुकेगा. साथ ही बड़ी संख्या में रिवर्स पलायन भी होगा. उन्होंने कहा उत्तराखंड में पलायन के मुख्य कारण शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार का ना होना है. अगर यह तीनों चीज पहाड़ में ही लोगों को मिल जाती हैं तो फिर जो छोटे-छोटे कामों के कारणजो लोग पलायन करते हैं. उनका पहाड़ों में रुकना हो जाएगा. साथ ही  बड़ी संख्या में रिवास्र्स  पलायन  भी होगा. उन्होंने बताया कि जो लोग बड़े पदों में निकलेंगे. बड़े व्यवसाय करेंगे. बेसिक तरीके से जिनका अभियान होगा. तो वह पलायन तो सुखद पलायन है. लेकिन जो लोग़ छोटी छोटी नौकरियों के लिए पलायन कर रहे हैं. बाहर जाकर के उनका जीवन बहुत ही कष्टप्रद होता है. यह पलायन बड़ा दुखदाई होता है. इसको रोकने के लिए अगर उत्तराखंड के गांवों  को योग आयुर्वेद ग्रामों के रूप में विकसित किया जाए,  तो जो पहाड़ों में पलायन के तीनों कारण है. शिक्षा का ना होना, स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का ठीक ना होना और स्वरोजगार की कमी का होना तो यह तीन सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है. इस दौरान,  बच्चों ने बड़ी संख्या में आज अपने योगासनों का प्रदर्शन किया. हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय के योग विभाग के प्रोफेसरों में  डा विनोद नौटियाल, डा रजनी नौटियाल ने सेमिनार सत्र में उत्तराखंड को वैलनेस के एक बड़े हब के रूप में विकसित करने के लिए अमूल्य सुझाव दिए.  सायंकाल  के सत्र में विशेष गंगा आरती के साथ-साथ ध्यान सत्र भी आयोजित किया गया. जिसमें ऋषिराज सुनील भगत  ने योग ध्यान की बड़ी क्या उपस्थित साधकों को समझाई महायोगी जीतानंद  महाराज और योगाचार्य डॉक्टर विपिन जोशी  ध्यान की बारीकियां समझाई.  पहले दिन के  कार्यक्रम में ऋषिराज सुनील भगत ,महायोगी जीतानंद महाराज, योगाचार्य डा0 बिपिन जोशी,  योगाचार्य डॉ ज्योति चुफाल, योगाचार्य दीपिका खंतवाल, योगाचार्य योगाचार्य मीना झिन्क्वान, अंबिका उनियाल आदि का विशेष सहयोग रहा. कार्यक्रम का संचालन आचार्य रामाकृष्ण पोखरियाल ने किया।

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