एम्स ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन : बाल चिकित्सा स्पाइन विकृति के उन्नत इलाज पर हुई गहन चर्चा

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ऋषिकेश : एम्स ऋषिकेश में आयोजित दो-दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बाल चिकित्सा स्पाइनल विकृतियों के बेहतर प्रबंधन, अत्याधुनिक शोध और आधुनिक उपचार पद्धतियों पर विस्तृत चर्चा हुई। सम्मेलन के दौरान विशेषज्ञों ने कहा कि बच्चों और किशोरों में पाई जाने वाली स्कोलियोसिस रीढ़ की हड्डी के असामान्य रूप से तिरछे होने की समस्या का निदान किशोरावस्था से पहले कर लेना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि शुरुआती पहचान से उपचार की सफलता के अवसर कई गुना बढ़ जाते हैं।

एम्स ऋषिकेश के ऑर्थोपेडिक्स विभाग, ऑर्थोपेडिक रिसर्च एंड एजुकेशन सोसाइटी और उत्तराखंड स्पाइन सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में यह राष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला आयोजित की गई। इसी क्रम में भारतीय बाल चिकित्सा स्पाइन अकादमी का संयुक्त वार्षिक सम्मेलन भी संपन्न हुआ।

सम्मेलन में देश के विभिन्न प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों से आए प्रमुख बाल स्पाइन सर्जन, शोधकर्ता, रेजिडेंट डॉक्टर और संबंधित क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल हुए। प्रतिभागियों ने बाल चिकित्सा स्पाइनल विकृति की नई तकनीकों, नैदानिक नवाचार, उन्नत शल्य चिकित्सा पद्धतियों और ट्रांसलेशनल रिसर्च जैसे विषयों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया।

सम्मेलन के मुख्य अतिथि और एम्स ऋषिकेश के अध्यक्ष प्रो. राजबहादुर ने अपने संबोधन में कहा कि व्यापक स्पाइन देखभाल, रिसर्च और अकादमिक उत्कृष्टता ही भविष्य की चिकित्सा व्यवस्था की नींव मजबूत कर सकती है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह सम्मेलन एम्स ऋषिकेश को अस्थि रोग और स्पाइन उपचार के क्षेत्र में नई पहचान दिलाएगा और उसे वैश्विक मंच पर स्थापित करेगा।

संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने ऑर्थोपेडिक्स और स्पाइन सर्जरी विभाग के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि संस्थान उपचार, शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में लगातार उत्कृष्टता की नई मिसालें कायम कर रहा है।

आयोजन अध्यक्ष एवं ऑर्थोपेडिक्स विभागाध्यक्ष प्रो. पंकज कंडवाल ने कहा कि प्रारंभिक स्कोलियोसिस से लेकर उच्च-ग्रेड डिस्प्लास्टिक स्पोंडिलोलिस्थीसिस जैसी जटिल बाल स्पाइन समस्याओं के व्यावहारिक उपचार समाधान साझा करने के लिए देशभर के विशेषज्ञों का एम्स ऋषिकेश में एकत्र होना अत्यंत गौरव की बात है।

सम्मेलन में प्रो. वोंग ही किट ,एनयूएचएस, सिंगापुर, डॉ. राजशेखरन ,गंगा हॉस्पिटल, कोयंबटूर, एएसएसआई अध्यक्ष प्रो. एस.के. श्रीवास्तव ,मुंबई सहित अनेक अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। सत्रों में सर्जिकल वीडियो प्रस्तुतिकरण, वैज्ञानिक वाद–विवाद, व्याख्यान, ई-पोस्टर प्रदर्शनी और स्पाइन विकृति पर आधारित केस स्टडी पर भी विस्तृत चर्चा हुई।

कार्यक्रम में आयोजन अध्यक्ष प्रो. पंकज कंडवाल, आयोजन सचिव डॉ. कौस्तुभ आहूजा, सह-सचिव डॉ. भास्कर सरकार के साथ यूकेएसएस के सदस्य डॉ. प्रियांक उनियाल, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. हर्ष प्रियदर्शी, डॉ. नवीन अग्रवाल, डॉ. विक्रांत चौहान और डॉ. तेजस्वी अग्रवाल उपस्थित रहे।

इसके अलावा देशभर से आए वरिष्ठ स्पाइन विशेषज्ञों में डॉ. अभय नेने, डॉ. अमित झाला, डॉ. अप्पाजी कृष्णन, डॉ. नरेश कुमार और प्रो. कामरान फारूक सहित कई अन्य ऑर्थो सर्जनों ने सम्मेलन की वैज्ञानिक गतिविधियों में भाग लिया।

सम्मेलन के सफल आयोजन ने न केवल एम्स ऋषिकेश को स्पाइन रिसर्च और बाल चिकित्सा स्पाइनल विकृति देखभाल के केंद्र के रूप में मजबूत किया है, बल्कि क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर उन्नत स्पाइन उपचार की दिशा में नए मानक भी स्थापित किए हैं।

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