महिला स्वयं सहायता समूहों की आय बढ़ाने के लिए ग्रामीण पर्यटन और स्थानीय उत्पादों को मिलेगा बढ़ावा
देहरादून : उत्तराखंड में महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘लखपति दीदी’ योजना अब बड़े पैमाने पर प्रभाव दिखा रही है। प्रदेश भर में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी 1.63 लाख महिलाएं अब ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं, जिनकी वार्षिक आय एक लाख रुपये से अधिक हो गई है। यह उपलब्धि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की आर्थिक स्थिति में तेजी से हो रहे सुधार का प्रमाण मानी जा रही है।ग्राम्य विकास सचिव धीराज गर्ब्याल ने हाल ही में आयोजित समीक्षा बैठक में बताया कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में 1.20 लाख और महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ का दर्जा दिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दिशा में विभिन्न विभागों को समन्वित रूप से कार्य करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि महिला समूहों की आय बढ़ाने वाले उत्पादों और गतिविधियों को अधिक बाजार और प्रशिक्षण मिल सके।

उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्य होने के नाते उत्तराखंड में ग्रामीण पर्यटन, हस्तशिल्प, पारंपरिक कृषि उत्पाद, जैविक खेती, पशुपालन, फूड प्रोसेसिंग, होमस्टे संचालन जैसे क्षेत्रों में अत्यधिक संभावनाएं हैं। इन संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण विकास विभाग ने पर्यटन विभाग को भी मूल्यांकन समिति में शामिल करने के निर्देश दिए हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जो महिलाएं पर्यटन आधारित गतिविधियों जैसे होमस्टे, स्थानीय व्यंजन, गाइड सर्विस, सांस्कृतिक प्रदर्शन आदि का संचालन कर रही हैं, उन्हें उचित प्रशिक्षण, प्रमाणन और बाजार से जुड़ने के अधिक अवसर मिल सकें।
अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में राज्य के विभिन्न जिलों में हजारों स्वयं सहायता समूह जैविक उत्पाद, स्थानीय मसाले, सब्जियों का प्रसंस्करण, ऊनी वस्त्र, जड़ी-बूटी आधारित उत्पाद, बांस-लकड़ी के उत्पाद और स्थानीय हस्तशिल्प तैयार कर रहे हैं। बड़ी संख्या में महिलाएं ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से भी अपने उत्पादों की बिक्री कर रही हैं, जिससे उनकी आय में निरंतर बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। सरकार का कहना है कि ‘लखपति दीदी’ योजना न केवल महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता बढ़ा रही है, बल्कि ग्रामीण परिवारों की आजीविका और जीवन स्तर में भी व्यापक परिवर्तन ला रही है। आने वाले महीनों में विभागीय समन्वय, कौशल विकास कार्यक्रमों, बैंक लिंकेज और बाज़ार उपलब्धता की रणनीतियों को और मजबूत किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक महिलाएं आय के नए स्रोत स्थापित कर सकें।
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में उत्तराखंड देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूह अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हों।
