सहनुमा का मुज़फ्फरनगर से सत्य साईं संजीवनी रायवाला तक उम्मीद भरा सफर, 12 साल बाद भरी गोद

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मुज़फ्फरनगर की सहनुमा के चेहरे पर आज एक ऐसी मुस्कान है, जिसमें 12 साल की लंबी प्रतीक्षा, विश्वास और माँ बनने की अपार खुशी झलकती है। यह मुस्कान उस पल की गवाह है जब उनकी गोद में पहली बार उनका बच्चा आया और यह सब संभव हुआ श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल, रायवाला की निःशुल्क सेवा और समर्पित डॉक्टरों की टीम की बदौलत।

सहनुमा और उनके पति ने अपनी पूरी प्रेग्नेंसी के दौरान बाइक से 100 किलोमीटर की दूरी तय की। मुज़फ्फरनगर से रायवाला तक का यह सफर आसान नहीं था लेकिन हर महीने, बिना किसी चूक के, वे बाइक से चेकअप के लिए आते रहे। कठिन रास्तों, बारिश, गर्मी और ठंड के बावजूद यह जोड़ा कभी पीछे नहीं हटा। उनके दिल में बस एक ही उम्मीद थी “एक दिन हमारी गोद भर जाएगी।”

निःशुल्क इलाज, अनमोल सेवाश्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल, रायवाला, उत्तराखंड में मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाएँ पूरी तरह निःशुल्क दी जाती हैं। यहाँ न केवल आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की मदद की जाती है, बल्कि उन्हें सम्मान और प्रेम के साथ देखभाल भी दी जाती है। सहनुमा की कहानी उन सैकड़ों माताओं में से एक है, जिनके लिए यह अस्पताल जीवन का दूसरा नाम बन गया है।

सहनुमा की कहती हैं “12 साल से हम डॉक्टरों के पास जाते रहे, दवा लेते रहे, पर कोई उम्मीद नहीं थी। यहाँ आने के बाद सबकुछ बदल गया। यह अस्पताल नहीं, दुआओं की जगह है।”

उनके पति बताते हैं कि पहली बार जब उन्होंने संजीवनी अस्पताल के बारे में सुना, तो विश्वास नहीं हुआ कि इतना बड़ा इलाज बिना किसी शुल्क के हो सकता है। लेकिन आज, जब वे अपने बच्चे को गोद में लिए हैं, तो आँखों में सिर्फ कृतज्ञता है।प्रेम और सेवा का संगमअस्पताल की ओर से बताया गया कि सहनुम्मा जैसी कई महिलाएँ दूर-दूर से यहाँ आती हैं। उनके लिए यात्रा कठिन होती है, लेकिन यहाँ आने के बाद हर माँ को प्यार, देखभाल और सुरक्षित प्रसव की गारंटी मिलती है।

संजीवनी सिर्फ अस्पताल नहीं, एक आस्था है सहनुमा की कहानी यह बताती है कि जब सेवा में प्रेम होता है और चिकित्सा में विश्वास, तो चमत्कार ज़रूर होता है।

यह कहानी सिर्फ एक माँ की नहीं यह उन सभी उम्मीदों की है, जो श्री सत्य साईं संजीवनी अस्पताल, रायवाला के द्वार से होकर मुस्कान में बदलती हैं।

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