उत्तराखंड स्थापना दिवस पर संतों का आध्यात्मिक संगम
देहरादून : उत्तराखंड राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर मुख्यमंत्री आवास में एक भव्य आध्यात्मिक संगम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में देशभर से आए प्रमुख संतों, महात्माओं और धर्माचार्यों ने भाग लेकर राज्य के धार्मिक और सांस्कृतिक गौरव को नई ऊर्जा प्रदान की।
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। संत समाज ने एक सुर में कहा कि धर्म और संस्कृति का संरक्षण ही सच्चा राष्ट्र निर्माण है। इस दौरान संतों ने राज्य सरकार द्वारा संस्कृति, परंपरा और धार्मिक स्थलों के संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना की ।

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि उत्तराखंड केवल देवभूमि ही नहीं, बल्कि यह संतों और ऋषियों की तपोभूमि भी है। उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों में राज्य ने विकास के साथ-साथ अपनी आध्यात्मिक पहचान को भी मजबूती दी है। “हमारी सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले समय में उत्तराखंड को ‘धार्मिक पर्यटन और संस्कृति के केंद्र’ के रूप में विश्व पटल पर स्थापित किया जाए,” उन्होंने कहा। संतों ने अपने प्रवचनों में ‘धर्म रक्षा ही राष्ट्र रक्षा है’ का संदेश दिया और युवाओं से भारतीय संस्कृति, परंपरा और संत वाणी को जीवन में अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब तक धर्म जीवित रहेगा, तब तक मानवता और समाज की एकता बनी रहेगी।
कार्यक्रम के दौरान हरिद्वार, ऋषिकेश, काशी, प्रयागराज, मथुरा, वृंदावन और अन्य पवित्र स्थलों से आए संतों ने राज्य की आध्यात्मिक उपलब्धियों की सराहना की और मुख्यमंत्री को ‘धर्मनिष्ठ शासन’ के लिए आशीर्वाद दिया।
इस अवसर पर राज्य के कैबिनेट मंत्री, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। पूरा वातावरण भजन, कीर्तन और संत वाणी से गुंजायमान रहा।
