छठ महापर्व की भव्य छटा: राजधानी लखनऊ सहित पूरे उत्तर प्रदेश में श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाया गया सूर्य उपासना का पर्व
लखनऊ : चार दिवसीय आस्था के महापर्व छठ की छटा सोमवार को पूरे उत्तर प्रदेश में देखते ही बन रही थी। राजधानी लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर, बनारस और बरेली से लेकर छोटे-छोटे कस्बों और गांवों तक सूर्य उपासना का यह पर्व पूरे उल्लास और भक्ति के साथ मनाया गया। महिलाओं ने दिनभर व्रत रखकर शाम भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। घाटों, तालाबों और नदियों के किनारे छठ मइया के गीतों की मधुर गूंज के साथ दीपों की रोशनी ने एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत किया।
लखनऊ में गोमती नदी के घाटों पर सोमवार शाम से ही श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। जानकीपुरम तालाब, कुकरैल घाट, हुसैनाबाद तालाब, ठाकुरगंज तालाब, और चिनहट क्षेत्र के जलाशयों में व्रती महिलाओं ने सूप में ठेकुआ, केला, नारियल, ईख, और दीप सजाकर सूर्य देव की आराधना की। घाटों पर परिवारों के साथ बड़ी संख्या में लोग पहुंचे और सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना की। वातावरण “छठ मइया के गीतों”, “केलवा जे पतर पे उगेल बानी सूर्य देव” जैसे पारंपरिक गीतों से गूंजता रहा।
प्रशासन ने भी पर्व को लेकर व्यापक तैयारी की थी। नगर निगम की ओर से घाटों की सफाई, बिजली की व्यवस्था और सुरक्षा के लिए बैरिकेडिंग की गई थी। जल पुलिस और एनडीआरएफ की टीमों को भी तैनात किया गया। जगह-जगह स्वास्थ्य शिविर और प्राथमिक उपचार केंद्र बनाए गए ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशवासियों को छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह पर्व भारतीय संस्कृति का जीवंत प्रतीक है, जो प्रकृति, सूर्य और मानव जीवन के बीच की गहरी कड़ी को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि सूर्य उपासना से जीवन में सकारात्मकता, ऊर्जा और सुख-समृद्धि का संचार होता है।
व्रती महिलाओं ने बताया कि यह पर्व सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि आत्मसंयम, श्रद्धा और नारी शक्ति का प्रतीक है। व्रत रखने वाली महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला रहकर परिवार की खुशहाली और संतान की दीर्घायु की कामना करती हैं। सोमवार शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद मंगलवार की भोर में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर यह पर्व संपन्न होगा।
लखनऊ के अलावा वाराणसी में गंगा घाटों पर हजारों श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की। दशाश्वमेध, अस्सी और राजघाट पर पूरा वातावरण आध्यात्मिक रंग में रंगा दिखाई दिया। वहीं प्रयागराज के संगम तट पर भी श्रद्धालु परिवारों के साथ जुटे, और अर्घ्य के साथ सूर्य देव से मंगल कामना की।
छठ पर्व का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय भी है। यह पर्व लोगों को नदियों, तालाबों और प्राकृतिक जलस्रोतों से जुड़ने की प्रेरणा देता है।
