महाकाल मंदिर में भारी फूल-मालाएं चढ़ाने की परंपरा बंद, 1 जनवरी 2026 से लागू होगा प्रतिबंध
उज्जैन / मध्य प्रदेश: उज्जैन के विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल को चढ़ाई जाने वाली भारी और विशालकाय फूल-मालाओं की परंपरा अब बंद होने जा रही है। मंदिर प्रबंधन समिति ने सुरक्षा और संरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। नई व्यवस्था 1 जनवरी 2026 से लागू होगी, जिसके बाद भक्त महाकाल को अजगरनुमा बड़ी मालाएं नहीं पहना सकेंगे।
मंदिर समिति ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत ज्योतिर्लिंग के संरक्षण और उसके प्राकृतिक स्वरूप को सुरक्षित रखने के लिए विशेषज्ञों ने लंबे समय से छोटे व हल्के फूलों के उपयोग की सलाह दी थी। उनका कहना था कि भारी मालाओं का वजन न केवल शिवलिंग पर दबाव बढ़ाता है, बल्कि लगातार संपर्क से क्षरण की आशंका भी बढ़ जाती है।

हालांकि यह सलाह लागू करने के कई प्रयास किए गए, लेकिन भक्तों द्वारा बड़ी-बड़ी, भारी मालाएं चढ़ाने की परंपरा पूरी तरह नियंत्रित नहीं हो सकी। इसके चलते मंदिर प्रशासन ने अब सख्त नियम लागू करना जरूरी समझा।
समिति ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अब मंदिर परिसर में आने से पहले ही विशाल, लंबे और भारी फूल-मालाओं की खरीदारी न करें। भक्त केवल हल्की, छोटी और परंपरागत रूप से स्वीकार्य मालाएं ही लेकर मंदिर में प्रवेश कर सकेंगे।
मंदिर अधिकारियों का कहना है कि यह कदम न केवल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दीर्घकालिक संरक्षण के लिए आवश्यक है, बल्कि पूजा-पद्धति की सुरक्षा और अनुशासन को भी बनाए रखेगा।
मंदिर समिति का मानना है कि नियमों का यह बदलाव श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए बिना, ज्योतिर्लिंग की अखंडता, पवित्रता और दीर्घायु को सुरक्षित करेगा। मंदिर प्रशासन आने वाले दिनों में इस फैसले के बारे में बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान भी चलाएगा, ताकि भक्त नई व्यवस्था का पालन कर सकें।
महाकाल मंदिर में पूजा परंपराओं से जुड़ा यह बड़ा निर्णय आने वाले समय में देवी-देवताओं के संरक्षण को लेकर अन्य मंदिरों के लिए भी उदाहरण बन सकता है।
