एम्स ऋषिकेश में विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह शुरू
ऋषिकेश : एम्स ऋषिकेश में विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह की शुरुआत जागरूकता कार्यक्रमों और विशेषज्ञ संवाद के साथ हुई। इस अवसर पर चिकित्सा विशेषज्ञों ने बिना चिकित्सीय परामर्श के एंटीबायोटिक दवाओं के बढ़ते उपयोग पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इसे मानव स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बताया। विशेषज्ञों ने स्पष्ट कहा कि एंटीबायोटिक के अनावश्यक सेवन से शरीर में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस तेजी से विकसित हो रहा है, जो इलाज को अप्रभावी बनाकर रोगी की स्थिति को और अधिक जटिल कर देता है।कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने किया। उन्होंने कहा कि “लोग छोटी-छोटी बीमारियों में भी स्वयं एंटीबायोटिक का उपयोग करने लगते हैं, जिससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और जरूरत पड़ने पर दवाएं प्रभाव नहीं दिखातीं। यह स्थिति स्वास्थ्य के लिए बेहद जोखिम भरी है।”उन्होंने हेल्थ केयर वर्करों की भूमिका को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया और सभी को एंटीमाइक्रोबियल प्रबंधन व बेहतर निदान प्रणाली अपनाने की अपील की, ताकि प्रतिरोधी संक्रमणों का प्रसार रोका जा सके।

डीन एकेडेमिक प्रो. जया चतुर्वेदी ने कहा कि एंटीबायोटिक का उपयोग तभी हो जब वास्तव में आवश्यकता हो और चिकित्सक की सलाह के आधार पर हो। उन्होंने सामुदायिक स्तर पर व्यापक जागरूकता फैलाने और समाज के हर व्यक्ति को इस अभियान का हिस्सा बनाने पर जोर दिया।चिकित्सा अधीक्षक प्रो. बी. सत्या श्री ने अभियान को सफल बनाने के लिए सभी विभागों तथा प्रत्येक स्वास्थ्यकर्मी के सक्रिय योगदान की आवश्यकता बताई।कार्यक्रम के आयोजन सचिव डाॅ. पी.के. पांडा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के निर्देशों के अनुरूप इस सप्ताहभर चलने वाली मुहिम में स्कूली बच्चों, आमजन, चिकित्सकों, नर्सिंग अधिकारियों तथा सभी हेल्थ केयर वर्करों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि अभियान का मुख्य उद्देश्य समाज के हर वर्ग में AMR के प्रति जागरूकता पैदा करना है।

सप्ताह के पहले दिन एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध विषय पर कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें विशेषज्ञों ने AMR के प्रभाव, प्रभावी एंटीमाइक्रोबियल स्टूवर्डशिप की रणनीतियों तथा एंटीबायोटिक के अनुचित उपयोग को रोकने के उपायों पर विस्तृत चर्चा की। विभिन्न विभागों द्वारा प्रस्तुतियां दी गईं और सभी स्वास्थ्यकर्मियों ने एंटीमाइक्रोबियल के विवेकपूर्ण उपयोग का सामूहिक संकल्प भी लिया।कार्यक्रम को मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रविकांत, डाॅ. अंबर प्रसाद ,फार्माकोलॉजी, नर्सिंग फेकल्टी मनीष कुमार शर्मा सहित कई विशेषज्ञों ने भी संबोधित किया।
इस अवसर पर डीन रिसर्च प्रो. शैलेन्द्र हाण्डू, सीएफएम विभागाध्यक्ष डॉ. वर्तिका सक्सेना, डाॅ. रोहित शर्मा, डाॅ. अमित त्यागी, डाॅ. अनीश गुप्ता, डाॅ. इतिश पटनायक, डाॅ. महेन्द्र सिंह, डाॅ. सौजन्या, मुख्य नर्सिंग अधिकारी डॉ. अनिता रानी कंसल, डाॅ. राखी मिश्रा, वरिष्ठ पुस्तकालयाध्यक्ष एवं सूचना अधिकारी संदीप कुमार सिंह, विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य, एसआर, जेआर, डीएनएस, एएनएस तथा नर्सिंग अधिकारी उपस्थित रहे। सप्ताहभर चलने वाला यह अभियान जनजागरूकता, प्रशिक्षण, चर्चा और सहभागिता के माध्यम से एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस रोकथाम के प्रति समाज को संवेदनशील बनाने के लिए समर्पित रहेगा।
