जोहानिसबर्ग में जी-20 शिखर सम्मेलन पर वैश्विक निगाहें, प्रधानमंत्री मोदी दक्षिण अफ्रीका पहुंचे

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दक्षिण अफ्रीका : अगले दो दिनों तक दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन की उलटी गिनती के बीच शुक्रवार दोपहर भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दक्षिण अफ्रीका पहुंच गए। अफ्रीकी महादेश में पहली बार आयोजित हो रहे इस प्रतिष्ठित वैश्विक आर्थिक मंच को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी दिलचस्पी है। दुनिया की 20 सबसे प्रमुख आर्थिक शक्तियों की इस बैठक में भू-राजनीतिक तनावों, वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती, सप्लाई चेन संकट, जलवायु परिवर्तन और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दों पर मंथन होगा।

प्रधानमंत्री मोदी के आगमन के साथ ही भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने संकेत दिया कि भारत वैश्विक दक्षिण की आवाज को मजबूत तरीके से रखेगा। सम्मेलन में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, वैश्विक आर्थिक सुधार, हरित ऊर्जा, मिशन लाइफ और विकासशील देशों के हितों से जुड़े मुद्दों पर भारत अपनी प्रमुख भूमिका निभाने वाला है।

जी-20 शिखर सम्मेलन की सबसे बड़ी चुनौती संयुक्त घोषणापत्र को लेकर बनी हुई है। सदस्य देशों के बीच यूक्रेन युद्ध, मध्य पूर्व स्थिति और वैश्विक आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर मतभेद गहराते दिखाई दे रहे हैं। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने इस वर्ष के मसौदे में प्रस्तावित कुछ बिंदुओं पर कड़ी आपत्ति जताई है, जिसके कारण अंतिम सहमति बनने में बाधा आ रही है।

दक्षिण अफ्रीका, भारत और कई अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाएं चाहती हैं कि घोषणापत्र में वैश्विक दक्षिण के सरोकारों, कर्ज़ संकट, जलवायु वित्त तथा विकास सहायता को विशेष प्राथमिकता मिले, जबकि अमेरिका और कुछ पश्चिमी देश सुरक्षा तथा भू-राजनीतिक मुद्दों पर अधिक जोर दे रहे हैं।

इस बार की बैठक कई मायनों में ऐतिहासिक मानी जा रही है, क्योंकि अफ्रीकी महाद्वीप ने पहली बार इस स्तर के वैश्विक आर्थिक मंच की मेजबानी की है। दक्षिण अफ्रीका ने इसे अफ्रीका की उभरती आर्थिक शक्ति और विकास क्षमता का प्रतीक बताते हुए व्यापक सांस्कृतिक और राजनयिक कार्यक्रमों की तैयारी की है। जोहानिसबर्ग में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद है और सम्मेलन स्थल के आसपास कड़ी निगरानी बढ़ा दी गई है।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय प्रधानमंत्री की इस उपस्थिति से भारत अफ्रीका के साथ अपने रणनीतिक सहयोग को और मजबूत करेगा। भारत अफ्रीका में व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा, डिजिटल कनेक्टिविटी और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में बढ़ते निवेश को लेकर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कर सकता है।

इसके अलावा, भारत दुनिया को संतुलित, शांतिपूर्ण और समावेशी विकास का संदेश देने वाला है। संयुक्त घोषणापत्र बनेगा या नहीं यह आने वाले दो दिनों में स्पष्ट होगा, लेकिन कूटनीतिक हलकों में उम्मीद जताई जा रही है कि भारत वार्ता में सेतु की भूमिका निभाकर सहमति बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

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