चारधाम के कपाट बंद होते ही शीतकालीन गद्दीस्थलों में बढ़ी श्रद्धालुओं की भीड़
रूद्रप्रयाग : चारधाम यात्रा के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने के बाद उत्तराखंड में शीतकालीन गद्दीस्थलों पर श्रद्धालुओं की चहल-पहल लगातार बढ़ रही है। विशेष रूप से बाबा केदार के शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर धाम, ऊखीमठ में देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। कड़ाके की ठंड के बावजूद भक्तों की आस्था में कोई कमी नहीं दिखाई दे रही है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चारधाम के कपाट बंद होने के बाद देवताओं की गद्दी शीतकालीन स्थलों पर विराजमान होती है और वहीं नियमित पूजा-अर्चना संपन्न कराई जाती है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि गद्दीस्थलों की यात्रा और दर्शन से वही पुण्य फल प्राप्त होता है, जो चारधाम यात्रा से मिलता है। इसी विश्वास के चलते शीतकाल में भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में इन पावन स्थलों की ओर रुख कर रहे हैं।

शीतकाल के दौरान भगवान केदारनाथ की पूजा-अर्चना ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ में विधिवत रूप से की जाती है, जबकि भगवान बदरी विशाल की शीतकालीन पूजा योग-ध्यान बदरी मंदिर, पांडुकेश्वर में संपन्न होती है। इन मंदिरों में वैदिक मंत्रोच्चार, विशेष आरतियों और पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ दैनिक पूजा जारी रहती है।

स्थानीय तीर्थ पुरोहितों और मंदिर समिति के अनुसार, शीतकालीन यात्रा से न केवल श्रद्धालुओं की आध्यात्मिक आस्था को बल मिल रहा है, बल्कि क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन को भी नया संबल मिल रहा है। प्रशासन और मंदिर समितियां श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्थाएं कर रही हैं।
आस्था, परंपरा और विश्वास के इस संगम के साथ उत्तराखंड की शीतकालीन चारधाम यात्रा अब धीरे-धीरे एक नई पहचान बना रही है, जहां श्रद्धालु वर्षभर देव दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं।
